
बगैर आवेदन के आठ आईपीएस को केंद्र ने दी प्रतिनियुक्ति
ज्यादातर अफसर अलग अलग कारणों से जाना नहीं चाहते केंद्र
उत्तराखड गृह विभाग में तीन साल में एक ही जैसा “बलंडर” दोबारा होने से विभाग की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में आ गई है। यह बलंडर है या इंटरनल पॉलिटिक्स का हिस्सा ? यह जाँच का विषय है। बहरहाल आपने किसी दूसरे स्टेट में पहले शायद ही कभी ऐसा देखा और सुना होगा कि अफसरों ने सेंट्रल डेपुटेशन के लिए आवेदन भी नहीं किया और केंद्र ने थोक के भाव पोस्टिंग भेज दी।
जिनकी पोस्टिंग आई है वो आईपीएस अफसर हैरान है, यह बात सच है कि उनमें से कई केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाना चाहते है लेकिन इसके लिए एक प्रक्रिया होती है, मगर यहाँ कोई प्रक्रिया नहीं अपने गयी और विगत नवम्बर में उत्तराखंड गृह विभाग ने बगैर किसी अफसर की सहमति लिए केंद्र को नाम भेज दिए और अब पोस्टिंग भी आ गयी। हैरतअंगेज है, बरसों बीतें लेकिन इस अनुशासित महकमे में सियासत ख़त्म नहीं होती।
क्या है पूरा मामला
पिछले अक्टूबर माह में गृह विभाग और PHQ ने स्वत: स्फूर्त होकर आठ आईपीएस अघिकारियों के नाम की सूची तैयार की और नवम्बर माह में केंद्र को भेज दी। आवेदन तो किसी ने नहीं किया था लेकिन इनमे चार अधिकारी फ़िलहाल अलग अलग कारणों से सेंट्रल डेपुटेशन जाना नहीं चाहते थे।
इन्होने मौजूदा डीजीपी दीपम सेठ से मुलाकात कर अपनी बात कही। डीजीपी भी हैरान थे कि बगैर सहमति या वगैर आवेदन के यह कैसे संभव है। डीजीपी में दो दिन पहले एक प्रस्ताव शासन को भेजकर आईपीएस मुख़्तार मोहसिन, नीरू गर्ग, राजीव स्वरूप और अरुण मोहन जोशी के नाम को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति की सूची से विलोपित कराने को कहा, लेकिन आज सबेरे आठ अफसरों की सेंट्रल डेपुटेशन की चिट्ठी आ गयी।
कुल मिलकर आवेदन तो आठ में से किसी ने भी नहीं किया और चार बिलकुल जाना नहीं चाहते, यह सारा घटनाक्रम बताता है कि उत्तराखंड गृह विभाग ने सूची केंद्र को भेजने से पहले कोई होमवर्क नहीं किया और किसी एक कमरे में सूची तैयार कर भेज दी गयी। इससे गृह विभाग की कार्यप्रणाली उजागर हो गयी।
केंद्र में किसे कहाँ मिली पोस्टिंग

नीरू गर्ग (2005) DIG BPRD
मुख़्तार मोहसिन (2005) DIG CRPF
अरुण मोहन जोशी (2006) DIG BSF
राजीव स्वरूप (2006) DIG BSF
जन्मेय जय खंडूरी (2007) DIG NCRB
सेंथिल अवूदई (2007) DIG CISF
पी रेणुका देवी (2008) DIG CBI
बरिंदरजीत सिंह (2008) DIG ITBP
ये है सेंट्रल डेपुटेशन पर जाने की प्रक्रिया
दरअसल इनमे से चार अधिकारी प्रदेश में आईजी है, इनमें नीरू गर्ग, मुख़्तार मोहसिन, अरुण मोहन जोशी और राजीव स्वरूप का नाम शामिल है। हो सकता है ये अधिकारी केंद्र में IG रैंक में इम्पैनलमेंट होने के बाद जाना चाहते है, एक वजह यह भी हो सकती है। लेकिन फिर भी डेपुटेशन पर जाने की एक प्रक्रिया होती है।
: अमुक अधिकारी जाने का इच्छुक हो और वो अपनी तरफ से आवेदन करें
: अधिकारी के आवेदन पर राज्य सरकार NOC दें और प्रस्ताव केंद्र को भेजे
: केंद्र एक परिक्षण और विधिक प्रक्रिया के बाद पोस्टिंग भेजे
: इसके बाद राज्य सरकार अमुक अधिकारी को केंद्र के लिए रिलीव करे
लेकिन यहाँ तो अधिकारियों ने आवेदन किया और न ही गृह विभाग ने उनसे पूछा। इसीलिए जानकर लोग इस पूरे मामले की एक इंटरनल पॉलिटिक्स का हिस्सा मान रहे है। कुल मिलकर एक ऐसा प्रयास दिसम्बर 2021 में भी यही हुआ था, तब अधिकारियों के नाम सेन्ट्रल की ऑफर लिस्ट में भी आ गए थे, तब भी न तो किसी अधिकारी ने आवेदन किया था और न ही गृह विभाग ने अधिकारियों की सहमति ली थी।
दो साल के भीतर दो बार एक ही जैसा घटनाक्रम होना दर्शाता है कि या तो यह सब जानबूझ कर अफसरों को परेशान करने के लिए किया जा रहा है या फिर जानकारी का बेहद अभाव है।
इसके लिए प्रयास करना चाहिए था गृह विभाग को
2005 और 2006 बैच के 71 अफसरों को केंद्र सरकार ने पिछले दिनों DIG से IG रैंक में प्रमोशन दिया, यानि इन अधिकारियों को IG रैंक में इंमपैनल्ड किया, इससे ये फायदा हुआ कि जब भी ये अफसर सेंट्रल डेपुटेशन पर जायेंगे तो IG के पद पर पोस्टिंग मिलेगी। इन 71 अफसरों की सूची में उत्तराखंड से मात्र दो अफसर स्वीटी अग्रवाल और रिद्धिम अग्रवाल ही केंद्र की सूची में IG बन सकी।
जबकि गृह विभाग का असली कार्य यही है कि अपने ज्यादा से ज्यादा अफसरों को केंद्र में इम्पैनल्ड करवाए, जितनी जल्दबाजी सेंटर भेजने की दिखाई उतनी इम्पैनलमेंट में दिखानी चाहिए थी।