इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने पीएम मोदी को ईरान पर हमलों की जानकारी दी, भारत ने जताई गहरी चिंता

दिल्ली– प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शुक्रवार शाम इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का फोन आया, जिसमें दोनों नेताओं ने इजरायल और ईरान के बीच जारी तनावपूर्ण हालात पर चर्चा की। यह बातचीत इजरायल के नए सैन्य अभियान ‘ऑपरेशन राइजिंग लायन’ की पृष्ठभूमि में हुई, जिसके तहत तेहरान के परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया गया है।

प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा जारी बयान के अनुसार, पीएम नेतन्याहू ने पीएम मोदी को क्षेत्र में चल रही सैन्य कार्रवाई और ताजा हालात की जानकारी दी। इस पर पीएम मोदी ने गहरी चिंता जाहिर करते हुए कहा कि जल्द से जल्द क्षेत्र में शांति और स्थिरता बहाल होनी चाहिए। दोनों नेताओं ने संपर्क में बने रहने पर सहमति जताई।

बाद में पीएम मोदी ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा —

“इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से फोन पर बात की। उन्होंने मौजूदा हालात के बारे में जानकारी दी। मैंने भारत की चिंता जताई और क्षेत्र में जल्द शांति और स्थिरता की आवश्यकता पर जोर दिया।”

विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर को भी इजरायली विदेश मंत्री गिदोन सार का फोन आया। जयशंकर ने एक्स पर लिखा —

“आज दोपहर इजरायल के विदेश मंत्री गिदोन सार का फोन आया। उन्होंने मौजूदा हालात पर चर्चा की।”

इससे पहले दिन में भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) ने बयान जारी कर कहा था कि भारत पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव और परमाणु ठिकानों पर हमलों की खबरों से बेहद चिंतित है। बयान में कहा गया, “हम हालात पर करीबी नजर रख रहे हैं। दोनों पक्षों से अपील है कि ऐसे कदमों से बचें जो हालात को और बिगाड़ सकते हैं।”

विदेश मंत्रालय ने यह भी दोहराया कि भारत “शांति प्रयासों में हरसंभव सहयोग देने को तैयार है” और कहा कि “मौजूदा संवाद और कूटनीतिक माध्यमों का उपयोग कर तनाव कम करने और मूल मुद्दों को हल करने की दिशा में प्रयास किए जाने चाहिए।”

भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि वह ईरान और इजरायल—दोनों देशों के साथ मित्रवत और निकट संबंध रखता है, और क्षेत्र में शांति कायम रखने की हर कोशिश का समर्थन करेगा।

इस बीच, इजरायली डिफेंस फोर्सेस (IDF) ने शुक्रवार को बयान जारी कर कहा कि ईरान में उन्होंने “सटीक और पूर्व-नियोजित हमला” किया है, जो तेहरान की परमाणु क्षमताओं को कमजोर करने के लिए किया गया। इजरायल का दावा है कि यह कार्रवाई ईरानी शासन की ओर से लगातार मिल रही “आक्रामकता” के जवाब में की गई है।

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