पेशावर कांड के वीर नायक चन्द्र सिंह गढ़वाली: जिसने अंग्रेजों के खिलाफ बंदूक चलाने से किया इनकार, बन गया आज़ादी का प्रतीक

देहरादून। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अनेक वीरों ने अपनी जान की बाज़ी लगाकर देश को आज़ाद कराने की लड़ाई लड़ी, लेकिन कुछ नाम ऐसे हैं जो इतिहास के पन्नों में थोड़े दबे रह गए — उन्हीं में एक हैं वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली। पेशावर कांड (1930) के नायक चन्द्र सिंह गढ़वाली ने उस समय इतिहास रच दिया, जब उन्होंने अंग्रेजों के आदेश के बावजूद निहत्थे भारतीयों पर गोली चलाने से इनकार कर दिया।

कौन थे चन्द्र सिंह गढ़वाली?

उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जिले में 25 दिसंबर 1891 को जन्मे चन्द्र सिंह गढ़वाली ब्रिटिश भारतीय सेना में एक सिपाही थे। उन्होंने गांधीजी और अहिंसा के सिद्धांतों से प्रेरणा ली। वह गढ़वाल राइफल्स के जवान थे और पेशावर में तैनात थे, जब अंग्रेजों ने खुदाई खिदमतगार आंदोलन के शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलवाने का आदेश दिया।

पेशावर कांड: जब गढ़वाली ने कहा ‘नहीं’

23 अप्रैल 1930 को पेशावर में सैकड़ों खुदाई खिदमतगार कार्यकर्ता प्रदर्शन कर रहे थे। अंग्रेज अधिकारियों ने गोली चलाने का आदेश दिया। लेकिन चन्द्र सिंह गढ़वाली और उनके साथियों ने निहत्थे भारतीयों पर गोली चलाने से साफ इनकार कर दिया। यह कदम ब्रिटिश सेना में अनुशासन के खिलाफ माना गया और इसके लिए उन्हें कई वर्षों की कठोर सजा भुगतनी पड़ी।

सजा और संघर्ष

गढ़वाली को ब्रिटिश शासन द्वारा कोर्ट मार्शल किया गया और उन्हें कठोर कारावास की सजा दी गई। उन्होंने जीवन के कई वर्ष जेल में बिताए, लेकिन आज़ादी की लौ को कभी बुझने नहीं दिया। रिहा होने के बाद भी वह किसानों, मजदूरों और सामाजिक न्याय के लिए संघर्षरत रहे।

गुमनाम नायक से प्रेरणा स्रोत तक

आज जब हम स्वतंत्रता संग्राम की गाथा सुनते हैं, तो चन्द्र सिंह गढ़वाली का नाम बहुत कम लिया जाता है, जबकि उनका त्याग और साहस अपने आप में अद्वितीय है। वह अहिंसा, निष्ठा और राष्ट्रप्रेम के प्रतीक बन गए हैं।

 

 

#ChandraSinghGarhwali #PeshawarKand #IndianFreedomFighter #UttarakhandPride #UnsungHeroes #आजादी_का_नायक

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *