गुजरात आईएएस अफसर प्रदीप शर्मा को भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में दोषी करार दिया गया है। अदालत ने उन्हें पाँच साल की कठोर कैद और ₹10,000 के जुर्माने की सजा सुनाई है।
प्रदीप शर्मा कौन हैं?
1994 बैच के गुजरात कैडर के IAS अधिकारी प्रदीप शर्मा लंबे समय तक राज्य प्रशासन में ऊँचे पदों पर रहे। उन्होंने कई जिलों में कलेक्टर और प्रमुख सचिव जैसे पद संभाले। लेकिन सालों से उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे, जो अब साबित हो चुके हैं।
IAS प्रदीप शर्मा पर आरोप क्या थे?
- सरकारी योजनाओं में घोटाला
- फर्जी कंपनियों के ज़रिए अवैध संपत्ति अर्जन
- हवाला और मनी लॉन्ड्रिंग
- रिश्तेदारों के नाम पर ज़मीन और प्रॉपर्टी निवेश
प्रवर्तन निदेशालय (ED) और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) की जांच में खुलासा हुआ कि शर्मा ने करोड़ों रुपये की अवैध कमाई की और उसे छिपाने के लिए कई तरीकों का इस्तेमाल किया।
अदालती सजा और इसका असर
विशेष अदालत ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और PMLA (Prevention of Money Laundering Act) के तहत प्रदीप शर्मा को दोषी माना और उन्हें सजा सुनाई।
इस सजा से साफ संकेत जाता है कि भ्रष्टाचार पर अब प्रशासन और न्यायपालिका सख्त रुख अपना रहे हैं।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया
ट्विटर, फेसबुक और यूट्यूब जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर लोगों ने इस केस पर तीखी प्रतिक्रियाएं दी हैं। कुछ ने इसे “भ्रष्टाचार के खिलाफ एक जीत” बताया, तो कुछ ने सवाल उठाए कि क्या अन्य बड़े अफसरों पर भी कार्रवाई होगी?
निष्कर्ष
- IAS प्रदीप शर्मा केस एक मिसाल है कि चाहे कोई कितना भी ऊँचे पद पर क्यों न हो, अगर उसने भ्रष्टाचार किया है तो कानून उसे बख्शेगा नहीं। यह स्टोरी प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही की दिशा में एक अहम कदम है।