जानिए आखिर कौन हैं उत्तराखंड के न्यायकारी देव ! क्यों होती है घर-घर इनकी पूजा…PART-1 – Satyavoice
धर्म

जानिए आखिर कौन हैं उत्तराखंड के न्यायकारी देव ! क्यों होती है घर-घर इनकी पूजा…PART-1

– वीरेंद्र पाल, संवाददाता 

उत्तराखंड को देवभूमि कहा गया है। धर्म-संस्कृति और आध्यात्म को मानने वाले लोग उत्तराखंड के हर कण में देवताओं का वास मानते हैं। यहां हिंदू धर्म ग्रंथो में वर्णित भगवान गणेश, ‌शिव, ब्रह्मा, ‌विष्णु, राम, हनुमान, मां भगवती से लेकर 33 करोड़ देवी देवताओं की पूजा होती है। लेकिन इन देवताओं के साथ ही उत्तराखंड में अपने लोक देवताओं की पूजा की भी एक अनोखी परंपरा है। इन लोक देवताओं के बारे में कई कथाएं प्रचलित हैं। उत्तराखंड के लोगों की अपने लोक देवताओं पर ऐसी अनोखी आस्था है जिसके आगे बड़े-बड़े चमत्कार फेल हैं। ऐसे ही चमत्कारी देव हैं कुमाऊं के इलाके में पूजे जाने वाले न्याय के देवता भगवान गोलज्यु।‌ 

 कई नामों से पुकारे जाते हैं गोलज्यू! 

 न्याय के देवता भगवान गोलज्यु मंदिर

पहाड़ के स्थानीय लोग अपने इलाके और बदली बोली के अनुसार ग्वेल, गोरल, गोलू, गोरिया, गुल्ल, ग्वाल्ल और दूदाधारी के नाम से पुकारते हैं। जबकि देश –  विदेश से आने वाले पर्यटक इन्हें घंटी वाली भगवान कहते हैं। जिनके अनोखे चमत्कार और कृपा के किस्से हर किसी की ज़ुबान पर मौजूद हैं। 

हर घर पूजे जाते हैं भगवान गोलज्यू !

हर घर पूजे जाते हैं भगवान गोलज्यू

उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के छह जिलों नैनीताल, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, बागेश्वर, चंपावत, और ऊधम सिंह नगर जिले में तो गोलज्यू सबसे ज्यादा पूजे जाते हैं। साथ ही गढ़वाल मंडल में  रह रहे या गढ़वाल में विवाहित कुमाऊं की बेटियां भगवान गोलज्यू को पूजना नहीं भूलती।  डॉक्टर कीर्तिबल्लभ शक्टा‌ ने अपनी किताब न्यायमूर्ति गोरल (कुमाऊंनी महाकाव्य) नाम की अपनी किताब में भगवान गोलज्यू की महिमा का पुरा बखान लिखा है। इस किताब में श्री शक्टा‌ लिखते हैं कि  कुमाऊं के इलाके में लोक देवताओं में ग्वेल यानी गोलज्यू सबसे अधिक प्रसिद्धि और मान्यताप्राप्त हैं। गोलज्यू को भगवान शिव और भैरव का अवतार माना गया है।

 गोलज्यू मंदिरों में लगता है तांता! चढ़ते हैं घंटी से लेकर बड़े-बड़े घंटे 

चढ़ते हैं घंटी से लेकर बड़े-बड़े घंटे

वैसे तो पहाड़ मूल के हर घर में भगवान गोलज्यू की सुबह –  शाम पूजा होती है। पहाड़ में गोलज्यू के हजारों छोटे और बड़े मंदिर हैं। लेकिन अल्मोड़ा का चितई, नैनीताल का घोड़ाखाल सबसे अधिक प्रसिद्ध मंदिर हैं। इसके अलावा चंपावत में भगवान गोलज्यू का मूल मंदिर है। इसीलिए चंपावत को गोलज्यू की धरती भी कहा जाता है। 

 भक्त लिखते हैं गोलज्यू को चिट्ठी 

भक्त लिखते हैं गोलज्यू को चिट्ठी

नैनीताल जिले के घोड़ाखाल और अल्मोड़ा जिले के चितई मंदिर में श्रद्धालुओं द्वारा अर्पित अनगिनत घंटियों के कारण पर्यटक इन दो मंदिरों को घंटी वाले मंदिरों के नाम से भी पुकारते हैं। चंपावत के चंपावती राजकुल में पैदा हुए गोलज्यू न्याय के देवता के रूप में विख्यात हैं। वो अपने भक्तों के बीच कष्टहरता, संपत्तिदाता और धीर-वीर प्रतापी राजपुरूष के रूप में जाने जाते हैं। न्याय की उम्मीद लिए लोग पूरे भारत वर्ष से चितई और घोड़ाखाल मंदिर चले आते हैं। कुमाऊं में हर खुशी और परेशानी के मौके पर भगवान  गोलज्यू की आराधना की अनोखी परंपरा है। और भगवान गोलज्यू को अपने पास बुलाने के लिए लोग जागर का सहारा लेते हैं। जहां गोलज्यू किसी भक्ति भाव में डूबे हुए व्यक्ति के शरीर में प्रकट होकर आज भी लोगों को अपने होने का अहसास कराते हैं। 

उत्तराखंड के लोगों की अपने लोक देवताओं पर ऐसी अनोखी आस्था है जिसके आगे बड़े-बड़े चमत्कार फेल हैं

नैनीताल जिले के घोड़ाखाल और अल्मोड़ा जिले के चितई मंदिर में तो लोग सादे पेपर से लेकर स्टांप पेपर तक में लिखकर अपनी परेशानियां लाते हैं। और इन परेशानी भारी चिट्ठियों को गोलज्यू के दरबार में रखकर और लटका कर चले जाते हैं। इन चिट्ठियों में बीमारी से परेशान लोगों से लेकर पारिवारिक दिक्कतों और कोर्ट कचहरियों में फंसे लोगों तक की चिट्ठियां होती हैं।

आखिर क्या करते हैं भगवान गोलज्यू इन चिट्ठियों के साथ? कैसे चंपावती राजकुमार को मिल गया भगवान का दर्जा…क्या है गोलज्यू के रोचक किस्से पढ़िए शुक्रवार यानी 24 अगस्त को अगले भाग यानी गोलज्यू PART- 2 में)

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