उत्तराखंड रोडवेज दागी कंडक्टरों के ‘दाग’ धोने का काम भी कर रहा है। दरअसल, रोडवेज ने वर्ष 2014 से भ्रष्टाचार के विभिन्न मामलों में नौकरी से हटाए गए 119 कंडक्टरों को भी एजेंसी के जरिए दोबारा नौकरी दे दी है। अब इस पर सवाल उठ रहे हैं। हालांकि, रोडवेज प्रबंधन का कहना है कि इन कर्मचारियों को एक मौका दिया गया है। रोडवेज में नियमानुसार यदि कोई संविदा और विशेष श्रेणी का कंडक्टर 250 रुपये से ज्यादा का भ्रष्टाचार करता है तो उसे नौकरी से निकालने का प्रावधान है।
हर साल औसतन 60 से ज्यादा कंडक्टर भ्रष्टाचार के प्रकरणों में नौकरी से हाथ धो बैठते हैं। ऐसे कंडक्टर यात्रियों से किराया तो लेते हैं, लेकिन उसको रोडवेज के कोष में जमा कराने की बजाय अपनी जेब में रख लेते हैं। पिछले साल नवंबर में रोडवेज ने कंडक्टरों की भर्ती के लिए एजेंसी चुनी, जिसके माध्यम से ऐसे कंडक्टरों को भी लिया जा रहा है, जो पहले भ्रष्टाचार के प्रकरणों में बर्खास्त हो चुके हैं। अब तक 119 कंडक्टरों को एजेंसी के माध्यम से रोडवेज में दोबारा सेवा का मौका मिल गया है।
नेताओं की सिफारिश से बच जाती है नौकरी!
रोडवेज में संविदा, विशेष श्रेणी के कुछ कंडक्टर ऐसे हैं, जो भ्रष्टाचार के प्रकरणों में कई बार बर्खास्त हो चुके हैं। लेकिन वे कर्मचारी नेताओं के माध्यम से दबाव बनाते हैं और मुख्यालय स्तर पर अपील कर अपनी नौकरी बचा लेते हैं।
दागी कर्मचारियों को सीआरएस तक नहीं दे पाए
रोडवेज ने 2020 में ऐसे नियमित कर्मचारियों का सर्विस रिकॉर्ड खंगाला, जिनको सेवाकाल में दंड मिला है। इसमें चौंकने वाले आंकड़े सामने आए। 350 नियमित कर्मचारी ऐसे थे, जिनको सेवाकाल में दंड मिला हुआ था। कुछ कर्मचारी तो ऐसे भी थे, जिनको 25 से ज्यादा बार दंड मिला। इनको जबरन रिटायरमेंट दिया जाना था, लेकिन रोडवेज ऐसा कर ही नहीं पाया।
कंडक्टरों की भर्ती एजेंसी के माध्यम से की जा रही है। ऐसे कंडक्टरों को भी मौका दिया गया, जो 2014 के बाद नौकरी से हटे। उन्होंने दोबारा आवेदन किया। 119 ऐसे कंडक्टरों को अभी तक एजेंसी के माध्यम से लिया गया है।