Uttarakhand Flash Flood: धराली में लापता 67 मृत घोषित, मिलेगा 5 लाख मुआवज़ा

  • धराली आपदा में लापता 67 लोगों के लिए जारी होंगे डेथ सर्टिफिकेट, मिलेगा 5 लाख मुआवज़ा

उत्तरकाशी: 5 अगस्त को उत्तराखंड के उत्तरकाशी ज़िले के धराली में आई विनाशकारी फ्लैश फ़्लड (Dharali Flash Flood) में लापता हुए 67 लोगों को अब औपचारिक रूप से मृत घोषित कर दिया गया है। रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया (Registrar General of India) ने विशेष अनुमति देकर मौत का पंजीकरण करने की अनुमति दी है, जिससे सात साल तक इंतज़ार करने की ज़रूरत नहीं होगी।

67 लापता, अब घोषित हुए मृत

जिलाधिकारी कार्यालय ने पुष्टि की कि केंद्र सरकार और गृह मंत्रालय (Union Home Ministry) की अनुमति के बाद अब 67 प्रभावित परिवारों को प्रत्येक 5 लाख रुपये की आर्थिक सहायता राज्य आपदा राहत निधि (SDRF) के तहत मिलेगी। इस प्रक्रिया की निगरानी उप-जिलाधिकारी (SDM) करेंगे और अपील की स्थिति में जिलाधिकारी (DM) अंतिम प्राधिकारी होंगे।

कैसे हुआ था हादसा?

5 अगस्त की भोर में गंगोत्री घाटी (Gangotri Valley) में बादल फटने (Cloudburst) से धराली और आसपास के गाँवों में अचानक जलप्रलय आ गया। तेज़ पानी, मिट्टी और बोल्डरों ने मिनटों में पूरे गाँव को बहा दिया। घर ढह गए, सड़कें और पुल टूट गए और कई परिवार बिछड़ गए।

राजेंद्र राणा, धराली के दुकानदार ने बताया,

“तेज़ गर्जना हुई और कुछ ही पलों में पानी घर के अंदर घुस आया। मैंने बच्चों को छत पर चढ़ा लिया लेकिन मेरे भाई का परिवार बच नहीं पाया। आज भी यकीन नहीं होता कि वे नहीं रहे।”

रेस्क्यू ऑपरेशन और राहत

एसडीआरएफ (SDRF), एनडीआरएफ (NDRF) और स्थानीय पुलिस ने 51 दिनों तक सर्च और रेस्क्यू अभियान चलाया। हेलीकॉप्टर, स्निफर डॉग और भारी मशीनरी लगाई गई, लेकिन दर्जनों लोग नहीं मिल सके। शुरुआती दिनों में कुछ शव बरामद हुए, पर अधिकांश लापता ही रहे।

लोगों को अस्थायी राहत शिविरों (Relief Camps) में शिफ्ट किया गया, जहां भोजन, दवाइयाँ और काउंसलिंग दी गई। लेकिन जिन परिवारों ने अपनों और घर-बार को खोया है, उनके लिए जिंदगी अब भी अनिश्चित है।

सीएम धामी का बयान

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Pushkar Singh Dhami) ने कहा कि सरकार ने पीड़ित परिवारों को तुरंत सहयोग और क्लोज़र देने के लिए यह निर्णय लिया है। इसके साथ ही एक पुनर्वास समिति (Rehabilitation Committee) भी बनाई गई है, जो घर, रोज़गार और आजीविका से जुड़ी दीर्घकालिक सहायता पर काम करेगी।

आपदा और पर्यावरणीय खतरे

विशेषज्ञों का कहना है कि हिमालयी क्षेत्र में अनियंत्रित निर्माण, वनों की कटाई और जलवायु परिवर्तन (Climate Change) ने बाढ़ और भूस्खलन का ख़तरा और बढ़ा दिया है। धराली हादसा इसका ताज़ा उदाहरण है।

राजेंद्र राणा जैसे बचे हुए लोग कहते हैं –

“सरकार का मुआवज़ा हमें नया घर बनाने में मदद करेगा, लेकिन अपनों को वापस नहीं ला सकता।”

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