नहीं तो लोग कहेंगे
और भी विभाग है जिले में शराब के सिवाय !
देहरादून। जिस दिन से आईएएस सविन बंसल ने जिलाधिकारी देहरादून का चार्ज लिया है उस दिन से शराब के ठेके और दूसरी दुकानें उनके निशाने पर है। आज भी पूरे जिले में यही कार्रवाई चल रही है। लेकिन शराब पर कुछ ज़्यादा ही ध्यान केंद्रित कर लगातार कार्रवाई करने से लोगो के बीच कई तरह की चर्चाये शुरू हो गई है।
लोग कह रहे है आख़िर आबकारी विभाग के अलावा कुछ और भी ऐसे क्षेत्र है जहाँ शराब के ठेकों से ज़्यादा सुधार की आवश्यकता है।
शराब के ठेकों को लेकर ही पिछले दिनों डीएम और आबकारी आयुक्त के बीच उठा विवाद अख़बार के पन्नों की सुर्ख़ियाँ बना था। तब भी शासन के वरिष्ठ अफसरों ने हस्तक्षेप किया था।
शुरुआती दौर तो ठीक था लेकिन अब लोग बातें करने लगे है।
मसलन, लोगो का कहना है कि शिक्षा और स्वास्थ के क्षेत्र की हालत ख़राब है, जिस तरह से अभियान शराब की दुकानों के लिए चलता है उसी तरह से स्कूलों में शिक्षकों की हाजिरी को लेकर चलना चाहिए।
राजस्व नयायालयों में कितने केस पेंडिंग है, लोग दाखिल खारिज जैसे केस के लिए लंबे समय से न्यायालय के चक्कर काट रहे है।
पब्लिक डिलीवरी सिस्टम को यदि और मजबूत किया जाय तो लोगों को राहत मिलेगी।
त्योहारी सीजन है, इस समय मिलावटी वस्तुओं और जहरीली मिठाइयों के खिलाफ अभियान चलना चाहिए !
ब्लॉक तहसील से लेकर जिला मुख्यालय तक सभी अधिकारी सुबह दस बजे अपने ऑफिस में बैठकर जनता से मिल रहे है कि नहीं ? इस पर अभियान चलना चाहिए।
शराब के लिए अभियान चलना ग़लत नहीं है लेकिन पब्लिक से जुड़े जरूरी सेक्टर छोड़कर पियक्कड़ों की वाले विभाग का सारा समय खपा देने से क्या होगा ?