उत्तराखंड की वित्तीय मांगों को लेकर मुख्यमंत्री धामी ने 16वें वित्त आयोग के समक्ष रखा मजबूत पक्ष

देहरादून, 19 मई – उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को सचिवालय में आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक में 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया और आयोग के अन्य सदस्यों के समक्ष राज्य की वित्तीय परिस्थितियों, चुनौतियों और विकास आवश्यकताओं को लेकर प्रदेश का पक्ष मजबूती से रखा।

मुख्यमंत्री ने आयोग से अनुरोध किया कि उत्तराखंड की “ईको सर्विस लागत” को ध्यान में रखते हुए “इनवॉयरमेंटल फेडरलिज्म” की भावना के अनुरूप राज्य को उपयुक्त क्षतिपूर्ति दी जाए।

साथ ही उन्होंने “कर-हस्तांतरण” में वन क्षेत्र की वजह से निर्धारित भार को 20 प्रतिशत तक बढ़ाए जाने तथा वनों के उचित प्रबंधन और संरक्षण के लिए विशेष अनुदान देने का भी सुझाव दिया।

 

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य का 70% से अधिक भूभाग वनों से आच्छादित है, जिससे दोहरी चुनौती उत्पन्न होती है – एक ओर वनों के संरक्षण पर अतिरिक्त खर्च, और दूसरी ओर विकास गतिविधियों पर प्रतिबंध।

उन्होंने यह भी कहा कि राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में भौगोलिक जटिलताओं के कारण शिक्षा और स्वास्थ्य में निजी भागीदारी सीमित है, जिसके लिए विशेष बजट प्रावधान आवश्यक हैं।

धामी ने “लोकेशनल डिस्एडवान्टेज” के चलते औद्योगिक विकास में आई चुनौतियों, जल स्रोतों के संरक्षण हेतु “भागीरथ एप” जैसे अभिनव प्रयासों, और तीर्थ स्थलों पर आने वाली भारी भीड़ के कारण अतिरिक्त बुनियादी ढांचे की जरूरत को भी आयोग के समक्ष प्रमुखता से उठाया।

राज्य में जल विद्युत परियोजनाओं पर राष्ट्रीय नियमों के चलते उत्पन्न सीमाओं की ओर इशारा करते हुए मुख्यमंत्री ने प्रभावित परियोजनाओं की क्षतिपूर्ति और उसके लिए एक उपयुक्त मैकेनिज्म निर्धारित किए जाने की मांग की।

उन्होंने केंद्र-राज्य वित्तीय समन्वय में सुधार के लिए सुझाव देते हुए कहा कि “कर-हस्तांतरण” में टैक्स प्रयास के साथ-साथ “राजकोषीय अनुशासन” को भी राज्यों की हिस्सेदारी तय करने वाले फॉर्मूले में जोड़ा जाना चाहिए। साथ ही “रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट” के स्थान पर “रेवेन्यू नीड ग्रांट” को लागू करने की मांग की।

इस मौके पर डॉ. पनगढ़िया ने उत्तराखंड की प्रगति की सराहना करते हुए कहा कि राज्य ने प्रति व्यक्ति आय बढ़ाने और बेरोजगारी घटाने में अच्छा कार्य किया है। उन्होंने आश्वासन दिया कि उत्तराखंड सहित अन्य पर्वतीय राज्यों की विशिष्ट चुनौतियों के समाधान के लिए आयोग गंभीरता से विचार करेगा।

बैठक में वित्त सचिव दिलीप जावलकर ने राज्य की चुनौतियों पर एक विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया। इस दौरान मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन सहित कई वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे।

16वें वित्त आयोग की रिपोर्ट 31 अक्टूबर 2025 तक केंद्र सरकार को सौंपी जानी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *