बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड मामले में कोटद्वार स्थित अपर जिला एवं सत्र न्यायालय (एडीजे कोर्ट) ने आज फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने तीनों आरोपियों रिजॉर्ट के मालिक पुलकित आर्य, उसके कर्मचारी सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता को हत्या के मामले में दोषी करार दिया है। इन पर 302, 201, 354, धाराओं में दोष सिद्ध हुआ है। वहीं, कोर्ट ने तीनों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। साथ ही 50-50 हजार रुपये का अर्थ दंड और अंकिता के परिजनों को चार लाख रुपये देने का फैसला भी कोर्ट ने सुनाया।
न्यायालय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोटद्वार द्वारा 1 अभियुक्त पुलकित आर्य को धारा 302 आईपीसी में कठोर आजीवन कारावास व ₹50000 जुर्माना धारा 201 आईपीसी में 5 वर्ष कठोर कारावास 10000 रुपए जुर्माना धारा 354 ए आईपीसी में 2 वर्ष का कठोर कारावास ₹10000 जुर्माना व धारा 3(1)d आईटीपीए एक्ट में 5 वर्ष का कठोर कारावास वह ₹2000 जुर्माना की सजा सुनाई है
2 अभियुक्त सौरभ भास्कर व अभियुक्त अंकित गुप्ता को धारा 302 आईपीसी में आजीवन कठोर कारावास व 50000 रुपए जुर्माना धारा 201 आईपीसी में 5 वर्ष कठोर कारावास व ₹10000 जुर्माना व3(1)d आईटीपीए एक्ट में 5 वर्ष का कठोर कारावास व ₹2000 जुर्माना की सजा सुनाई है
व 4 लाख प्रतिकर मिर्तिका के परिजनों को देना है।
वहीं अब इस मामले को लेकर एक बार फिर सियासत तेज हो चली है। उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने आज बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड में न्यायालय द्वारा तीनों आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और निश्चित रूप से अंकिता को आंशिक न्याय दिलाता है।
माहरा ने यह भी स्पष्ट किया कि अब भी कई गंभीर सवाल अनुत्तरित हैं, जिनका उत्तर धामी सरकार को देना होगा। उन्होंने कहा कि न्यायालय ने दोषियों को सजा दी है, लेकिन यह पूर्ण न्याय नहीं है। आज भी यह स्पष्ट नहीं है कि किन वीआईपी व्यक्तियों को बचाने के लिए प्रदेश सरकार ने प्रयास किए। जांच के दौरान साक्ष्य नष्ट किए जाने की मंशा से वनंतारा रिज़ॉर्ट पर बुलडोजर चलाने का आदेश किसके निर्देश पर दिया गया? प्रारंभिक जांच में प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा बरती गई लापरवाही के लिए कौन जिम्मेदार है? और रिसॉर्ट में आग लगाकर सबूत नष्ट करने वालों पर अब तक क्या कार्रवाई हुई है?
माहरा ने कहा कि जब तक इन सवालों के जवाब नहीं मिलते, तब तक यह मामला अधूरा रहेगा। कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे को जनता के बीच लगातार उठाती रहेगी और सरकार से जवाबदेही की माँग करती रहेगी।
उन्होंने कहा कि हमारी लड़ाई केवल दोषियों को सजा दिलाने तक सीमित नहीं है, बल्कि संपूर्ण न्याय और सच्चाई सामने लाने तक जारी रहेगी।
पूरे केस में कब क्या हुआ
अंकिता की हत्या के बाद आरोपियों को 24 घंटे के अंदर जेल भेजा गया और अभी तक वह सलाखों के पीछे हैं.
अंकिता भंडारी हत्या मामले में जांच के लिए किया गया SIT का गठन किया गया.
अंकिता हत्याकांड के आरोपियों पर गैंगस्टर अधिनियम के तहत भी केस दर्ज हुआ.
धामी सरकार द्वारा अंकिता भंडारी के परिवार को दी गई ₹25 लाख की आर्थिक मदद की गई.
अंकिता हत्याकांड मामले में 500 पन्नों की चार्ज शीट हुई तैयार 100 गवाहों के बयान भी शामिल किए गए.
अंकिता के परिजनों की मांग पर 3 बार सरकारी वकील बदले गए.
दिवंगत बेटी अंकिता के भाई और उसके पिता को सरकारी नौकरी दी गई
कोर्ट में सरकारी वकील द्वारा की गई सख्त पैरवी की वजह से आरोपियों द्वारा दी गई जमानत अर्जी हर बार खारिज हुई.