देवभूमि: जाख मंदिर में आस्था का अद्भुत नज़ारा: दहकते अंगारों पर हुआ देव नृत्य, भक्त हुए अभिभूत – Satya Voice

देवभूमि: जाख मंदिर में आस्था का अद्भुत नज़ारा: दहकते अंगारों पर हुआ देव नृत्य, भक्त हुए अभिभूत

रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड।

आस्था, रहस्य और रोमांच से भरपूर गुप्तकाशी का ऐतिहासिक जाख मेला इस बार भी एक विस्मयकारी दृश्य के साथ संपन्न हुआ। जाख मंदिर में हुए इस महायोग में नर पश्वा ने दहकते अंगारों पर नृत्य करते हुए भक्तों की बलाएं लीं। हजारों की संख्या में मौजूद श्रद्धालुओं की आंखें उस क्षण में ठहर गईं, जब विशाल अग्निकुंड में भगवान जाख तीन बार प्रविष्ट हुए और देव नृत्य किया।

आग नहीं, आस्था का स्पर्श:

परंपरागत रूप से मंदिर परिसर में बनाया गया विशाल अग्निकुंड, अंगारों से धधक रहा था। जैसे ही ढोल, दमाऊं और भोंपू की गूंज के बीच जाख देवता के जयकारे गूंजे, नर पश्वा देवत्व रूप में अवतरित हुए और अग्निकुंड में नृत्य करने लगे। कहते हैं, अग्नि कुंड में प्रवेश करते समय उन्हें अग्नि नहीं, शीतल जल का स्पर्श होता है। यह पल देखकर भक्तों की आंखें नम हो गईं।

Jakh Devta Mandir

परंपरा जो आज भी जीवित है:

यह मेला केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि सदियों पुरानी परंपराओं का जीवंत प्रदर्शन है। मेले की शुरुआत नर देवता को उनके मूल गांव से विंध्यवासिनी मंदिर लाने के साथ होती है।f09d84cf-fca4-4bf5-bd34-2c94b09182f2

वहां पूजा-अर्चना और परिक्रमा के बाद देवता जाख मंदिर पहुंचते हैं, जहां बांज के पेड़ के नीचे देवता का अवतरण होता है। फिर तांबे की गागर से स्नान के बाद अग्निकुंड पर देव नृत्य होता है।

पौराणिक कथा से जुड़ा स्थल:

जाख मंदिर का संबंध महाभारत काल से भी जोड़ा जाता है। मान्यता है कि केदारनाथ गमन से पूर्व पांडवों ने यहीं विश्राम किया था। यक्ष-प्रश्न और युधिष्ठिर के उत्तर की कहानी भी इसी क्षेत्र से जुड़ी हुई है। ऐसा कहा जाता है कि जिस जल कुंड से यह घटना जुड़ी थी, वह अब अग्निकुंड के रूप में बदल चुका है।

भभूत जो बनती है वरदान:

मेले के बाद श्रद्धालु अग्निकुंड से भभूत (राख) को प्रसाद रूप में घर ले जाते हैं। मान्यता है कि इस भभूत के लेप से कई चर्म रोग दूर हो जाते हैं। मेले की तैयारियां कई दिनों पहले शुरू हो जाती हैं, जिसमें नारायण कोटी, देवशाल और कोठड़ा गांव के लोग विशेष पूजा विधियों के अनुसार अग्निकुंड का निर्माण करते हैं।

अद्भुत आस्था, अलौकिक अनुभव:

जाख मंदिर

ऐसे आयोजन विज्ञान और श्रद्धा के बीच के सेतु बन जाते हैं, जहां तर्क मौन हो जाते हैं और केवल आस्था बोलती है। जाख मंदिर का यह देव नृत्य न सिर्फ एक धार्मिक परंपरा है, बल्कि एक चमत्कारी अनुभव भी है, जिसे देखने के लिए देशभर से श्रद्धालु यहां खिंचे चले आते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *