Uttarakhand Exclusive : गृह विभाग में एक और गड़बड़झाला

: केंद्र के मांगने पर भी नहीं भेजी आईपीएस अफसरों की विजिलेंस क्लीयरेंस
: केंद्र में IG बनने से रह गए 2006 बैच के आईपीएस
: अब सभी अफसरों को रिव्यू में जाना पड़ेगा

आईपीएस अफसरों की केंद्रीय प्रतिनियुक्ति का मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि एक और बवाल सामने आ गया, उत्तराखंड गृह विभाग की कार्यशैली की परते धीरे धीरे उघड़ती जा रही है। कैसे सुनियोजित तरीके से विभागीय अधिकारियों के कैरियर को लेकर लापरवाही बरती गई, इसका बड़ा उदाहरण सामने आया है।

11 अक्टूबर 2024 को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उत्तराखंड शासन को चिट्ठी भेजी कि आईपीएस के विभिन्न पदों पर इंपैनलमेंट की प्रक्रिया गतिमान है, इसलिए 2006 बैच तक के अधिकारियों की विजिलेंस क्लीयरेंस भेजे। और इस समय 2006 बैच के आईपीएस को IG रैंक में इंपैनल करने की प्रक्रिया भी चल रही है।
लेकिन गृह विभाग में इस पत्र को लेकर कोई हरकत नहीं हुई। कुछ दिन बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने रिमाइंडर भेजा लेकिन फिर भी अफसरों की विजिलेंस क्लीयरेंस नहीं भेजी गई।

14 नवंबर 2014 को गृह विभाग उत्तराखंड ने विजिलेंस क्लीयरेंस की जो सूची केंद्र को भेजी उसमें 2006 बैच को शामिल नहीं किया, जबकि केंद्र ने 2006 तक भेजने को कहा था।

जब 2006 बैच के आईपीएस अधिकारियों की IG रैंक में इंपैनलमेंट की प्रक्रिया चल रही थी तो इसी बैच के अफसरों का नाम केंद्र को नहीं भेजना किसी के गले नहीं उतर रहा है, और गृह विभाग ने ऐसा क्यों किया, यह आज भी रहस्य बना हुआ है। अब आईपीएस अधिकारी इस मामले को लेकर जाँच की माँग कर रहे है।

2006 बैच में केवल स्वीटी अग्रवाल का ही केंद्र में IG रैंक में इंपैनलमेंट हुआ, वो भी इसलिए हो गया क्योंकि वह पहले से ही केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर है इसलिए उनकी विजिलेंस क्लीयरेंस उत्तराखंड से जानी ही नहीं थी।

इस बैच के बाकी सब अरुण मोहन जोशी, राजीव स्वरूप, अनंत शंकर ताकवाले गृह विभाग की लापरवाही के चलते केंद्र में IG बनने से चूक गए। अब इन तीनों अफसरों को केंद्र में IG रैंक में इंपैनलमेंट के रिव्यू में जाना पड़ेगा, जो एक लंबी प्रक्रिया होगी। आख़िर उत्तराखंड गृह विभाग की इस लापरवाही के लिए कौन ज़िम्मेदार है या फिर जानबूझ कर ये सब किया गया है, इसे लेकर पुलिस विभाग में मामला तूल पकड़ता जा रहा है और आईपीएस अफसरों में नाराज़गी बढ़ती जा रही है।

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