उत्तराखंड बना मेडिकल एजूकेशन का हब, धामी सरकार ने 25 साल में लिखी सफलता की नई इबारत – Satya Voice

उत्तराखंड बना मेडिकल एजूकेशन का हब, धामी सरकार ने 25 साल में लिखी सफलता की नई इबारत

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में उत्तराखंड अब देश के मेडिकल एजूकेशन मैप पर मजबूती से उभर रहा है। राज्य गठन के समय जहां एक भी सरकारी मेडिकल कॉलेज नहीं था, आज प्रदेश में 5 सरकारी और 4 निजी मेडिकल कॉलेज हैं तथा कुल MBBS सीटें बढ़कर 1325 तक पहुँच गई हैं। सरकार का लक्ष्य “हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज” जल्द पूरा होने की ओर है।

 

स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने बताया कि रुद्रपुर (ऊधमसिंह नगर) और पिथौरागढ़ में नए मेडिकल कॉलेज बहुत जल्द शुरू होने जा रहे हैं। इसके साथ ही प्रदेश के 13 में से ज्यादातर जिलों में मेडिकल कॉलेज की सुविधा उपलब्ध हो जाएगी।

 

वर्तमान स्थिति एक नजर में:

 

सरकारी मेडिकल कॉलेज : 5 (श्रीनगर, हल्द्वानी, देहरादून, अल्मोड़ा, हरिद्वार)

निजी मेडिकल कॉलेज : 4 (हिमालयन इंस्टीट्यूट जॉलीग्रांट, श्री गुरु राम राय देहरादून, ग्राफिक एरा देहरादून, गौतम बुद्ध हल्द्वानी)

कुल MBBS सीटें : लगभग 1325

सरकारी कॉलेजों में MBBS सीटें : 625

PG सीटें : 238+

 

 

मुख्यमंत्री धामी ने पिछले कुछ वर्षों में सिर्फ इमारतें ही नहीं खड़ी कीं, बल्कि मानव संसाधन को भी मजबूत किया है। मार्च 2025 में 1,232 नर्सिंग अधिकारियों को नियुक्ति पत्र बांटे गए। पिछले तीन साल में 173 सहायक प्रोफेसर, 56 वरिष्ठ फैकल्टी और 185 तकनीकी कर्मचारी भर्ती किए गए। कुल मिलाकर स्वास्थ्य विभाग में 22,000 से ज्यादा नई सरकारी नौकरियां सृजित हुई हैं।

 

 

नर्सिंग और पैरामेडिकल में भी बंपर इजाफा

 

सरकारी नर्सिंग कॉलेज : 12

 

निजी नर्सिंग संस्थान : 80+

 

B.Sc. नर्सिंग सीटें : 4,700

 

M.Sc. नर्सिंग सीटें : 463

 

पैरामेडिकल कोर्स की सीटें (निजी क्षेत्र) : 12,000+

 

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, “हमारा संकल्प है कि उत्तराखंड का युवा डॉक्टर बने तो उसे दूसरे राज्य न भटकना पड़े। हम न केवल डॉक्टर तैयार कर रहे हैं, बल्कि पूरे उत्तर भारत के लिए बेहतरीन स्वास्थ्य सेवाएं देने वाला राज्य बन रहे हैं। हेली-एंबुलेंस सेवा से लेकर दुर्गम क्षेत्रों में नए मेडिकल कॉलेज तक, हर कदम इसी दिशा में है।”

 

स्वास्थ्य सचिव डॉ. राजेश कुमार ने इसे “ऐतिहासिक छलांग” करार देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री की मेडिकल एजूकेशन को प्राथमिकता देने की नीति के कारण ही कुछ ही वर्षों में 130 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि संभव हो पाई है।

 

उत्तराखंड अब सिर्फ देवभूमि ही नहीं, बल्कि “मेडिकल एजूकेशन की नई कर्मभूमि” भी बनता दिख रहा है।

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