Uttarakhand: 25 साल का इंतजार खत्म: अब सपनों तक नहीं, सड़कों तक भी पहुंचा गल्ला गांव

📍लोहाघाट, चंपावत
उत्तराखंड के पहाड़ी गांवों में आज भी कुछ सपने सड़क के इंतजार में अटके हैं—लेकिन गल्ला गांव और सुई का शिमला तोक अब उनमें शामिल नहीं।

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25 साल के लंबे इंतजार के बाद इन गांवों तक आखिरकार सड़क पहुंच गई है, और इसके पीछे हैं लोहाघाट के कांग्रेस विधायक खुशाल सिंह अधिकारी, जिनके प्रयासों से ये मुमकिन हुआ।

🚜 सपना जो डोली से शुरू हुआ, अब सड़क पर सवार है

बाराकोट ब्लॉक के इस दुर्गम क्षेत्र में सड़क ना होने की वजह से गर्भवती महिलाओं और बीमार लोगों को आज भी डोली के सहारे अस्पताल ले जाया जाता था। गांव तक पहुंचने के लिए लोगों को 2 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई चढ़नी पड़ती थी। लेकिन अब यह कहानी इतिहास बन गई है।

🎉 गांव में खुशियों की हलचल

जैसे ही सड़क का काम पूरा हुआ, गांव में उत्सव सा माहौल बन गया। ग्रामीणों ने विधायक खुशाल सिंह अधिकारी और प्रशासन को धन्यवाद देते हुए कहा—“हमने कभी सोचा भी नहीं था कि हमारे गांव तक सड़क पहुंचेगी।”

📢 नेता से लेकर आम जन तक, सबने जताई खुशी

कांग्रेस प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य शंकर बोरा ने बताया कि यह सड़क दो किलोमीटर लंबी है और इसे बाराकोट मुख्य मार्ग से जोड़कर बनाया गया है। इस ऐतिहासिक पल के गवाह बने ग्रामीणों में शामिल रहे—प्रयाग सिंह, रमेश सिंह, प्रकाश जोशी, मदन सिंह, पुष्कर सिंह, मुकुल ओली, मंटू ओली, राजेंद्र ओली, रमेश ओली, बसंत चतुर्वेदी, देवकीनंदन चतुर्वेदी, श्याम सिंह और नवल चतुर्वेदी।

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