देहरादून। उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव एक बार फिर टल गए हैं। “अति अपरिहार्य परिस्थितियों” का हवाला देते हुए सरकार ने अब इन पंचायतों की बागडोर प्रशासनिक अधिकारियों को सौंप दी है। शासन ने सोमवार को आदेश जारी करते हुए साफ कर दिया कि जब तक चुनाव नहीं होते, तब तक प्रशासक ही पंचायतों का संचालन करेंगे।
अब क्या होगा?
अब जिला पंचायतों की कमान जिलाधिकारी के हाथ में होगी, क्षेत्र पंचायतों की जिम्मेदारी उप जिलाधिकारी (SDM) निभाएंगे और ग्राम पंचायतों में विकासखंड के सहायक विकास अधिकारी (पंचायत) को प्रशासक बनाया गया है।
हरिद्वार को मिला “विशेष दर्जा”
राज्य के सभी जिलों में प्रशासक नियुक्त कर दिए गए हैं, सिवाय हरिद्वार के। हरिद्वार को फिलहाल इससे बाहर रखा गया है। आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि पहले जारी अधिसूचना की शेष शर्तें यथावत रहेंगी।
कब तक रहेंगे प्रशासक?
प्रशासकों का कार्यकाल 31 जुलाई 2025 तक या नई पंचायतों के गठन तक (जो भी पहले हो) जारी रहेगा। इस दौरान वे पंचायतों के सभी प्रशासनिक कार्यों को संचालित करेंगे।
प्रशासक नियुक्तियों का आँकड़ा:
- 7478 ग्राम पंचायतों में नियुक्त हुए प्रशासक
- 2941 क्षेत्र पंचायतों में प्रशासनिक जिम्मेदारी सौंपी गई
- 12 जिला पंचायत अध्यक्ष पदों पर भी प्रशासक नियुक्त
(हरिद्वार जिले को छोड़कर)
अब आगे क्या?
नए परिसीमन के बाद राज्य में (हरिद्वार को छोड़कर):
- 7514 ग्राम पंचायतों,
- 2936 क्षेत्र पंचायतों,
- 343 जिला पंचायतों
- और 55640 ग्राम वार्डों में पंचायत चुनाव कराए जाने हैं।
लेकिन फिलहाल इन चुनावों की कोई तय तारीख नहीं है।
📌 सवाल यही है – लोकतंत्र की सबसे मजबूत नींव मानी जाने वाली पंचायतें, कब फिर से जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों के हवाले होंगी?
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