
अहमदाबाद एयर इंडिया प्लेन क्रैश के बाद, जहां 240 से अधिक लोगों की जान चली गई, एकमात्र जीवित बचे यात्री रमेश विश्वासकुमार ने अपनी कहानी सुनाई है। हादसे के बाद वो टूटे हुए इमरजेंसी एग्जिट से बाहर निकल आए।
सीट 11A पर थे बैठे
पुलिस के मुताबिक, 40 वर्षीय रमेश विश्वासकुमार विमान की सीट 11A पर बैठे थे, जो इमरजेंसी एग्जिट के पास थी। टक्कर के बाद दरवाजा टूट गया और वहीं से वो किसी तरह बाहर निकलने में कामयाब रहे। गुरुवार को क्रैश के तुरंत बाद उन्हें खून से सने टी-शर्ट में लंगड़ाते हुए सड़क पर चलते देखा गया, उनके चेहरे पर खरोंचें और चोट के निशान थे।
“कुछ पल लगा मैं भी मरने वाला हूं”
- शुक्रवार को अस्पताल से डीडी न्यूज़ से बात करते हुए रमेश ने कहा –
“मुझे अब भी विश्वास नहीं होता कि मैं कैसे बच गया। कुछ समय के लिए तो लगा कि मेरी भी जान जाने वाली है। लेकिन जब होश आया, तो खुद को सीट से खोलने की कोशिश की और जहां से रास्ता मिला वहां से निकल गया। मेरी आंखों के सामने एयर होस्टेस और कई लोगों की जान चली गई।”
हॉस्टल की इमारत से टकराया था विमान
हादसे में मेडिकल कॉलेज हॉस्टल की छत पर विमान जा टकराया था। पुलिस के अनुसार, हॉस्टल में मौजूद कुछ लोग और ज़मीन पर मौजूद अन्य लोग भी इस क्रैश में मारे गए। राहत और बचाव दल अब भी मलबे में लापता लोगों और विमान के हिस्सों की तलाश कर रहा है।
“विमान हवा में कुछ सेकेंड थमा था”
रमेश के मुताबिक, टेकऑफ के कुछ ही सेकंड बाद विमान अचानक जैसे हवा में रुक गया था।
- “ग्रीन और वाइट लाइट ऑन थीं। इंजन की गड़गड़ाहट अचानक तेज़ हो गई और फिर विमान तेजी से हॉस्टल में जाकर टकराया।”
पीएम मोदी ने की मुलाकात
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को अहमदाबाद में क्रैश साइट का दौरा किया और अस्पताल में जाकर रमेश विश्वासकुमार से भी मुलाकात की।
“जिस तरफ मैं था, वहीं रास्ता बचा था”
रमेश ने कहा –
“मेरी एयर इंडिया क्रैश में चमत्कारिक रूप से बचे इकलौते यात्री ने सुनाई आपबीती: “मुझे अब भी यकीन नहीं होता कि मैं जिंदा हूं”साइड का हिस्सा ज़मीन पर गिरा था और दरवाज़ा टूट गया था, जिससे थोड़ा सा रास्ता दिखा और मैं निकल पाया। विमान का दूसरा हिस्सा इमारत की दीवार से चिपका हुआ था, वहां से कोई नहीं निकल सकता था।”
डॉक्टरों के मुताबिक, रमेश को सिर्फ बाएं हाथ पर जलने की हल्की चोटें हैं, उनकी हालत स्थिर है।
ये हादसा तो भयावह था, लेकिन रमेश की कहानी किसी चमत्कार से कम नहीं।