राजनीतिक जमीन को मजबूत करने के लिए मप्र कांग्रेस कर रही कड़ी मेहनत

राजनीतिक जमीन को मजबूत करने के लिए मप्र कांग्रेस कर रही कड़ी मेहनत
भोपाल, 19 मार्च (आईएएनएस)। मार्च 2020 में सरकार से बेदखल होने सहित एक गहरे संकट को देखने के बाद, पिछले कुछ सालों में मध्य प्रदेश कांग्रेस ने अपने कैडर को पुनर्जीवित करने और अपनी राजनीतिक जमीन को बढ़ाने के लिए कड़ी मेहनत की है।

सबसे पुरानी पार्टी के भीतर संकट के बीच, कांग्रेस इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा के विपरीत अपने राज्य नेतृत्व पर अधिक निर्भर होगी।

मध्य प्रदेश कांग्रेस के लिए रणनीति निर्माताओं की भूमिका निभाने वाले वरिष्ठ नेताओं ने दावा किया कि अगर आने वाले दिनों में उनके कुछ नेता भाजपा या किसी अन्य राजनीतिक दल में चले गए तो पार्टी चिंतित नहीं है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि ऐसे कई उदाहरण हैं जब पार्टी अतीत में भी गहरे संकट से गुजरी है, लेकिन यह फिर से पुनर्जीवित हो गई है।

इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि कुछ शीर्ष नेताओं के बीच एक के बाद एक राजनीतिक झटकों और गुटबाजी के बावजूद, विशाल राजनीतिक अनुभव वाले पार्टी के दो दिग्गज नेताओं के मार्गदर्शन में राज्य के पार्टी प्रमुख कमल नाथ और दो बार के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने सत्तारूढ़ भाजपा को फिर से करारा जवाब दिया है।

विधानसभा चुनाव के केवल छह महीने दूर होने के कारण, कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में भाजपा के दो दशक के शासन को चुनौती देने के लिए खुद को तैयार कर लिया है। राजनीतिक पर्यवेक्षकों ने कहा कि कांग्रेस ने हर सार्वजनिक मुद्दे पर सड़कों पर विरोध किया, खासकर बेरोजगारी, बढ़ते भ्रष्टाचार और अपराध, किसान आदि।

राजनीतिक पर्यवेक्षक ने कहा, मार्च 2020 में सत्ता खोने के बावजूद, जो अधिक ध्यान देने योग्य था वह यह था कि कांग्रेस अधिक आक्रामक हो गई है। ऐसे में अपने कार्यकर्ताओं का मनोबल ऊंचा रखना पार्टी नेतृत्व के लिए नि:संदेह एक चुनौतीपूर्ण कार्य था, लेकिन किसी तरह उन्होंने इसे कर दिखाया और नगरीय निकाय चुनाव में उन्हें सकारात्मक परिणाम मिले। यह एक स्थापित तथ्य है कि अगर कोई राजनीतिक दल वातानुकूलित कमरों में बैठने के बजाय सड़कों पर जनता के मुद्दों पर लड़ेगा तो जनता उसका समर्थन करेगी।

राजनीतिक पर्यवेक्षकों ने यह भी दावा किया कि मध्य प्रदेश में शीर्ष से लेकर निचले स्तर तक कांग्रेस कार्यकर्ताओं की आम धारणा है कि उन्होंने अपने दम पर लड़ाई लड़ी है और उनके लिए स्थिति भाजपा जैसी नहीं है।

एक वरिष्ठ पत्रकार ने नाम न बताने का अनुरोध करते हुए कहा, फिलहाल कांग्रेस के पास केंद्र में ऐसा करिश्माई नेतृत्व नहीं है, जैसे भाजपा के पास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं और एमपी का कांग्रेस कैडर इससे अच्छी तरह वाकिफ है। दूसरा मध्य प्रदेश कांग्रेस में केंद्रीय नेतृत्व की तुलना में प्रदेश नेतृत्व का प्रभाव अधिक है।

यहां तक कि पार्टी के कुछ कार्यकर्ता यह भी स्वीकार करते हैं कि केवल फ्रंटलाइन नेता कमलनाथ और दिग्विजय सिंह ही नहीं बल्कि उनके क्षेत्र में मजबूत पकड़ रखने वाले कुछ अन्य लोगों का प्रभाव कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व के किसी भी शीर्ष चेहरे से अधिक है। जिला स्तरीय कांग्रेस कार्यकर्ता ने कहा, ऐसा इसलिए है क्योंकि स्थानीय नेता सड़कों पर लड़ रहे हैं और नियमित रूप से लोगों से बातचीत कर रहे हैं। इसलिए, लोग अपने स्थानीय नेताओं के साथ घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए हैं।

--आईएएनएस

पीके/एसकेपी

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