येदियुरप्पा के आलोचकों पर बेटे विजयेंद्र पड़े भारी

येदियुरप्पा के आलोचकों पर बेटे विजयेंद्र पड़े भारी
बेंगलुरु, 19 मार्च (आईएएनएस)। चुनाव से ठीक पहले कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस येदियुरप्पा के बेटे बी.वाई. विजयेन्द्र सुर्खियों में आ गए हैं।

मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने अपील की है कि शिकारीपुरा विधानसभा क्षेत्र के लोगों को विजयेंद्र को अपना समर्थन देना चाहिए जैसे उन्होंने उनके पिता येदियुरप्पा का समर्थन किया था। विजयेन्द्र को टिकट देने के पार्टी के फैसले की बोम्मई ने पुष्टि की।

राज्य में राजनीतिक हलकों, विशेष रूप से भाजपा के वरिष्ठ नेता इस पर करीबी नजर बनाए हुए हैं, खास कर वो नेता जो उन्हें लिंगायत समुदाय के नेता के रूप में उन्हें उभरता हुआ नहीं देखना चाहते हैं। बोम्मई के बयान से पार्टी के भीतर येदियुरप्पा के दुश्मनों में भी खलबली मच गई है।

विजयेंद्र ने उपचुनाव के समय अपनी ताकत दिखाई थी जब आरआर पेट और सिरा निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा को जीत मिली थी, जहां भाजपा पहले कभी नहीं जीती थी। उनके इस प्रयास की केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सराहना की थी।

विजयेंद्र अपने पिता के सीएम रहते शैडो सीएम बने और कहा जाता है कि उन्होंने चीजों को संभालने का पूरा नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया था। इसके बाद बीजेपी विधायक खुलकर सामने आए और विजयेंद्र के खिलाफ बयान जारी किए और येदियुरप्पा पर भी हमला बोला।

भारतीय जनता पार्टी के विधायक बसबागौड़ा पाटिल यतनाल, अरविंद बेलाड, सी.पी. योगेश्वर और अन्य लोगों ने नई दिल्ली का दौरा किया और विजयेंद्र के खिलाफ शिकायत की। आखिरकार येदियुरप्पा के पद छोड़ने के बाद इस खेमे ने जश्न मनाया।

उनकी खुशी कम ही रही है क्योंकि येदियुरप्पा ने सुनिश्चित किया कि बसवराज बोम्मई मुख्यमंत्री बनें और यतनाल और अरविंद बेलाड को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया। सी.पी. योगेश्वर को भी मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया गया।

येदियुरप्पा ने अपने विरोधियों को कड़ा संदेश दिया। बाद में, येदियुरप्पा के राज्य का दौरा करने के प्रयासों को पार्टी ने रोक दिया। डर यह था कि येदियुरप्पा विजयेंद्र को एक समुदाय के नेता के रूप में पेश करेंगे और पार्टी को उन्हें एक प्रमुख स्थान देने के लिए मजबूर करेंगे।

उनके विरोधियों ने यह सुनिश्चित किया कि येदियुरप्पा के दौरे पर जाने की योजना विफल हो गई और विजयेंद्र को मंत्रिमंडल में शामिल करने के उनके प्रयासों को विफल कर दिया गया। पार्टी ने विजयेंद्र को एमएलसी का टिकट देने से भी इनकार कर दिया।

अब ऐसे समय में जब प्रतिद्वंद्वी खेमा राहत की सांस ले रहा था, आलाकमान ने फिर से येदियुरप्पा को प्रमुखता देनी शुरू कर दी है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि उन्हें अपने बेटे के राजनीतिक करियर में सबसे ज्यादा दिलचस्पी है।

विरोधियों को संदेह है कि येदियुरप्पा अपने बेटे के लिए आगे बढ़ेंगे और उन्हें राज्य में एक ताकत के रूप में उभरने में मदद करेंगे। विजयेंद्र की अच्छी खासी फॉलोइंग है और वह राज्य का दौरा करते रहे हैं।

हाल ही में, उनके बयानों ने पार्टी के भीतर नेताओं को चेताया कि उनके पिता के बारे में बात करते समय सतर्क रहें और अगर वे ऐसा करना जारी रखेंगे तो उन्हें पछताना पड़ेगा। उन्होंने इन नेताओं को चुनौती भी दी है कि क्या किसी में यह भरोसा दिलाने की क्षमता है कि वे अपने पिता की तरह कर्नाटक में भाजपा को सत्ता में लाएंगे।

देखना होगा कि आने वाले दिनों में पार्टी विजयेंद्र के साथ कैसा बर्ताव करने वाली है।

--आईएएनएस

एचएमए/एसकेपी

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