- पहले चरण में ₹4.5 करोड़ की राशि जारी, पाँच संवेदनशील क्षेत्रों में होगा दीर्घकालिक समाधान का कार्य
📍देहरादून | 01 अगस्त, 2025
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व और सतत प्रयासों से उत्तराखंड को भूस्खलन न्यूनीकरण एवं प्रबंधन के लिए केंद्र सरकार से ₹125 करोड़ की महत्त्वपूर्ण परियोजना की स्वीकृति मिली है। इस परियोजना का उद्देश्य राज्य के सर्वाधिक संवेदनशील भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में दीर्घकालिक समाधान सुनिश्चित करना है।
भारत सरकार के गृह मंत्रालय और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) ने राज्य सरकार द्वारा भेजे गए प्रस्तावों पर त्वरित संज्ञान लेते हुए यह परियोजना मंजूर की है। पहले चरण में ₹4.5 करोड़ की अग्रिम राशि अन्वेषण कार्यों और विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) की तैयारी के लिए जारी की गई है।
मुख्यमंत्री धामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह परियोजना राज्य के हजारों लोगों की सुरक्षा और जनजीवन की स्थिरता के लिए एक निर्णायक कदम है।
प्राथमिकता के आधार पर चिन्हित पाँच संवेदनशील स्थल
🔹 मनसा देवी हिल बाईपास रोड, हरिद्वार
हरिद्वार की मनसा देवी पहाड़ी पर हो रहे लगातार भू-स्खलन से जनसुरक्षा को खतरा है। यह मार्ग कांवड़ यात्रा के दौरान वैकल्पिक रूट के तौर पर इस्तेमाल होता है। 50,000 से अधिक स्थानीय लोग प्रभावित हैं।
🔹 गलोगी जलविद्युत परियोजना मार्ग, मसूरी (देहरादून)
देहरादून-मसूरी मार्ग पर स्थित यह क्षेत्र बरसात के मौसम में बार-बार भू-स्खलन से प्रभावित होता है, जिससे यातायात बाधित और सड़क को नुकसान होता है।
🔹 बहुगुणा नगर भू-धंसाव क्षेत्र, कर्णप्रयाग (चमोली)
इस क्षेत्र में जमीन धंसने की गंभीर घटनाओं से मकान और सड़कें बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। यह भूसंरचना की दृष्टि से अत्यधिक अस्थिर क्षेत्र है।
🔹 चार्टन लॉज भूस्खलन क्षेत्र, नैनीताल
सितंबर 2023 में हुए भारी भूस्खलन से दर्जनों घर प्रभावित हुए और कई परिवारों को अस्थायी रूप से विस्थापित होना पड़ा। जल निकासी की कमी और भारी बारिश इसके मुख्य कारण रहे।
🔹 खोतिला-घटधार क्षेत्र, धारचूला (पिथौरागढ़)
भारत-नेपाल सीमा से सटा यह इलाका अत्यधिक वर्षा और भू-कटाव के कारण गंभीर भू-क्षरण की चपेट में है, जिससे सीमावर्ती इलाकों की सुरक्षा भी प्रभावित हो रही है।
- राज्य सरकार द्वारा इस परियोजना के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु उत्तराखंड आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (USDMA) और उत्तराखंड लैंडस्लाइड न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र (ULMMC) को ज़िम्मेदारी दी गई है।
मुख्यमंत्री ने भरोसा जताया है कि यह परियोजना न केवल वर्तमान खतरे को कम करेगी, बल्कि भविष्य के लिए उत्तराखंड को आपदा-प्रूफ राज्य बनाने की दिशा में मील का पत्थर सिद्ध होगी।