देवरहा बाबा: एक दिव्य संत की कथा

देवरहा बाबा का नाम भारतीय संत परंपरा में बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है। उन्हें एक सिद्ध महायोगी, तपस्वी और दैवीय शक्तियों के धनी संत के रूप में जाना जाता है। बाबा के बारे में कहा जाता है कि वे कई दशकों तक जीवित रहे और उनके भक्तों में आम जनता से लेकर बड़े राजनेता और प्रसिद्ध हस्तियां तक शामिल थीं।

जन्म और जीवन परिचय

देवरहा बाबा के जन्म को लेकर स्पष्ट प्रमाण नहीं हैं, लेकिन माना जाता है कि वे 250 से 300 वर्षों तक जीवित रहे। उनका आश्रम उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में सरयू नदी के किनारे स्थित था, जिससे उनका नाम “देवरहा बाबा” पड़ा। बाबा ने अपना संपूर्ण जीवन एक मचान पर बिताया और वहीं से अपने भक्तों को दर्शन देते थे।

आध्यात्मिक जीवन और सिद्धियां

देवरहा बाबा को सिद्ध योगी कहा जाता था, जिनके पास अलौकिक शक्तियां थीं। उनके बारे में कहा जाता है कि वे बिना भोजन और जल के भी वर्षों तक जीवित रह सकते थे। बाबा अपने अनुयायियों को सेवा, साधना और परोपकार का मार्ग दिखाते थे।

उनके दर्शन के लिए हजारों भक्तों की भीड़ उमड़ती थी। बाबा किसी से कोई भेदभाव नहीं करते थे — चाहे साधारण किसान हो, संत हो या फिर बड़े नेता। राजनेताओं में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी जैसे कई बड़े नाम बाबा के दर्शन के लिए आते थे।

चमत्कारों की कथाएं

देवरहा बाबा के चमत्कारों को लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं। कहा जाता है कि बाबा के आशीर्वाद से लोगों के कष्ट दूर हो जाते थे। उनकी सिद्धियों के कारण लोग उन्हें ‘जीवित हनुमान’ तक कहते थे।

मृत्यु

देवरहा बाबा ने 19 जून 1990 को महासमाधि ले ली। उनकी मृत्यु के बाद भी उनकी शिक्षाएं और आदर्श लाखों लोगों को प्रेरित करते हैं।

उपदेश और शिक्षाएं

देवरहा बाबा का जीवन पूरी तरह से मानव सेवा और समाज कल्याण को समर्पित था। वे हमेशा प्रेम, करुणा और भक्ति का संदेश देते थे। उनका मानना था कि सच्ची भक्ति वही है जिसमें सेवा और समर्पण हो।

देवरहा बाबा आज भी भारतीय संत परंपरा में एक दिव्य व्यक्तित्व के रूप में पूजे जाते हैं, जिनकी आध्यात्मिक ऊर्जा और शिक्षाएं अनगिनत भक्तों का मार्गदर्शन कर रही हैं।

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