Dehradun: ढाई हजार मकानों की कुर्बानी देकर बदलेगी देहरादून की तस्वीर, कल से मकानों पर लगने लगेंगे निशान

  • 61 हजार करोड़ की दो एलिवेटेड सड़कों से मिलेगा ट्रैफिक जाम से राहत, 2051 तक बचेगा समय और ईंधन

देहरादून। देहरादून शहर अब बदलाव की दहलीज पर खड़ा है। ट्रैफिक के रोज़ाना के झंझट से मुक्ति दिलाने वाली दो बड़ी एलिवेटेड सड़क परियोजनाएं अब रफ्तार पकड़ने जा रही हैं। लेकिन इस तरक्की की राह में करीब 2,614 मकानों की कुर्बानी तय मानी जा रही है।

कल यानी मंगलवार से रिस्पना पुल और करगी चौक क्षेत्र में मकानों पर निशान लगाने की प्रक्रिया शुरू होगी, जो कि भूमि अधिग्रहण की शुरुआत मानी जा रही है। ये कदम 61 हजार करोड़ की उस महत्वाकांक्षी परियोजना का हिस्सा है, जिसका सपना है – एक जाम मुक्त, स्मार्ट देहरादून।

कैसे बदल जाएगी शहर की सूरत?

दोनों एलिवेटेड सड़कें देहरादून की धमनियों की तरह होंगी, जो उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम के ट्रैफिक को बिना रुकावट के बहने देंगी।
• रिस्पना एलिवेटेड रोड
विधानसभा के पास रिस्पना पुल से आईटी पार्क, नागल ब्रिज तक – 11 किमी
• बिंदाल एलिवेटेड रोड
करगी चौक से ओल्ड मसूरी रोड, सई मंदिर तक – 15 किमी

इन दोनों सड़कों के बनने से शहर के 27 मोहल्ले सीधे प्रभावित होंगे –
11 मोहल्ले रिस्पना पर और 16 मोहल्ले बिंदाल क्षेत्र में।

कहां होंगे सबसे ज्यादा असर?

बिंदाल क्षेत्र के मोहल्ले – करगी ग्रांट, ब्राह्मणवाला, देहराखास, निरंजनपुर, कांवली, चुक्खूवाला, डोभालवाला, हाथी बड़कला, विजयपुर, जाखन, मालसी, किशनपुर, ढाकपट्टी आदि।

रिस्पना क्षेत्र के मोहल्ले – अजबपुर, राजीव नगर, धरमपुर, डालनवाला, कंडोली, कैनाल रोड, देहराखास, नागल, धाकपट्टी आदि।

यहां:

• बिंदाल में: 560 कच्चे + 334 पक्के मकान
• रिस्पना में: 399 कच्चे + 771 पक्के मकान तोड़े जाएंगे।

क्या कहते हैं अधिकारी?

“सभी जरूरी आकलन और DPR तैयार हो चुकी है। अब टीमों को ग्राउंड पर भेजा जा चुका है। निशान लगाने का काम कल से शुरू होगा।”
— जितेंद्र कुमार त्रिपाठी, अधिशासी अभियंता, लोक निर्माण विभाग

2051 तक राहत, रफ्तार और आराम

इन एलिवेटेड रोड्स पर वाहन 60 किमी/घंटा की औसत रफ्तार से दौड़ सकेंगे। ट्रैफिक डायवर्जन के अनुमान इस प्रकार हैं:
• रिस्पना रोड: 9,500 PCU
• बिंदाल रोड: 11,000 PCU

यह प्रोजेक्ट सिर्फ एक सड़क निर्माण नहीं, बल्कि शहर की धड़कनों को गति देने वाला बदलाव है।

क्या खोएंगे, क्या पाएंगे?

जहां एक ओर हजारों परिवार अपने घरों से विस्थापित होंगे, वहीं दूसरी ओर एक ऐसा शहर आकार लेगा जहां ट्रैफिक के झमेले नहीं होंगे, सफर आसान होगा और समय की बचत भी।

अब देखना होगा कि इस बड़े बदलाव की कीमत पर शहर को मिलने वाला ये भविष्य कितना संतुलित और न्यायसंगत साबित होता है।

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