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Blog by Rajat Sharma: मोदी ने पाकिस्तान को उसी की भाषा में उत्तर दे रहे हैं।

ब्रिटेन के अखबार  ‘दि गार्डियन’ ने दावा किया है कि पुलवामा  आतंकी हमले  के बाद नरेन्द्र मोदी की सरकार ने नीति बदल दी है। मोदी सरकार ने एजेंसियों को भारत के बाहर दूसरे देशों में बैठे आतंकवादियों को, हिन्दुस्तान के दुश्मनों को खामोशी से खत्म करने की खुली छूट दे दी है। ‘द गार्डियन’ का दावा है कि मोदी सरकार की इसी नीति का नतीजा है कि पुलवामा हमले के बाद अब तक बीस बड़े आतंकवादी पिछले दो साल में पाकिस्तान में  मारे जा चुके हैं – किसी को अज्ञात व्यक्ति ने गोली मार दी, किसी को जेल में ज़हर खिला दिया गया, कोई घर में मरा पाया गया।  द गार्डियन ने एक लंबी चौड़ी रिपोर्ट छापी है जिसकी सबसे ज्यादा चर्चा पाकिस्तान में हो रही है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पुलवामा अटैक के बाद मोदी सरकार दूसरे देशों में घुसकर अपने दुश्मनों का सफ़ाया करवा रही है, आतंकवादियों को  चुन-चुनकर मारा जा रहा है। और इस रिपोर्ट के मुताबिक़, भारत के एजेंट्स ने पिछले चार सालों में पाकिस्तान, ब्रिटेन और कनाडा में भारत के दुश्मनों का ख़ात्मा किया है। दि गार्डियन का दावा है कि उसके रिपोर्टर्स ने तहक़ीक़ात की है, भारत के रिटायर्ड RAW अफसरों से बात की है, पाकिस्तानी इंटेलिजेंस एजेंसी ISI के अफसरों से कन्फर्म किया है, उसके बाद ही ये रिपोर्ट तैयार की गई है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 से अब तक भारत की ख़ुफ़िया एजेंसी रॉ ने पाकिस्तान में 20 सीक्रेट मिशन को अंजाम दिया है और, भारत के दुश्मन बने 20 दहशतगर्दों का काम तमाम किया है।

‘दि गार्डियन’ की रिपोर्ट के मुताबिक़, रिसर्च ऐंड एनालिसिस विंग के एजेंट,  संयुक्त अरब अमीरात, मॉरिशस और नेपाल में बैठकर  इस तरह की हत्याओं को अंजाम दे रहे हैं। पाकिस्तान में जो बीस दशतगर्द मारे गए हैं उनमें लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल-मुजाहिदीन और खालिस्तान कमांडो फोर्स के आतंकवादी शामिल हैं। इनमें लश्कर-ए-तैयबा के शाहिद लतीफ़,  ज़ाहिद अख़ुंद, रियाज़ अहमद, हिज़बुल मुजाहिदीन के बशीर अहमद पीर, और सलीम अहमद रहमानी के अलावा, खालिस्तानी आतंकवादी परमजीत सिंह पंजवड़ के नाम शामिल हैं। ये सारे आतंकवादी, भारत विरोधी अभियान में शामिल रहे थे।  लश्कर आतंकवादी शाहिद लतीफ़, 2016 में पठानकोट के एयरबेस पर हुए हमले का मास्टरमाइंड था। ज़ाहिद अखुंद 1999 के कंधार प्लेन हाईजैक में शामिल था। पाकिस्तान में इन सबकी अज्ञात लोगों ने हत्या कर दी। शाहिद लतीफ़ को पाकिस्तानी पंजाब के सियालकोट सूबे में एक 20 साल के पाकिस्तानी युवक ने मारा। पंजाब सूबे की पुलिस ने उसे गिरफ्तार भी  किया था।  एक और लश्कर आतंकवादी की हत्या 2022 में कराची में की गई थी। उसे अफ़ग़ानिस्तान के नागरिकों ने गोली मारी थी। जैसे ही द गार्डियन में  ये रिपोर्ट छपी तो पूरे पाकिस्तान में इस रिपोर्ट का हवाला देकर भारत पर इल्जाम लगने लगे और पाकिस्तानी मीडिया ने अपनी सरकार से जवाब मांगना शुरू कर दिया। पाकिस्तान की फौज और सरकार से सवाल पूछे जा रहे हैं लेकिन न फौज की तरफ से कोई बयान आया, न ISI की तरफ से और न पाकिस्तान की सरकार की तरफ से।  लेकिन पाकिस्तान के ज्यादातर पत्रकार और मीडिया बार बार ये दावा कर रहे हैं कि इन आतंकवादियों की मौत के पीछे भारत का हाथ है और इसके पीछे वो ये तर्क दे रहे हैं कि भारत ये काम सिर्फ पाकिस्तान में नहीं कर रहा है, ऐसी घटना तो कनाडा में भी हुई, अमेरिका और ब्रिटेन में भी हुई हैं। हालांकि पाकिस्तान के कुछ पत्रकारों का ये कहना है कि बिना सुबूत के, भारत पर इल्ज़ाम लगाना ठीक नहीं है। इन लोगों का कहना है कि ISI के जिन अधिकारियों का हवाला गार्डियन ने अपनी रिपोर्ट में दिया है, उनको सामने आकर मुल्क को हक़ीक़त बतानी चाहिए।

पाकिस्तान में फ़ौज के क़रीबी माने जाने वाले पत्रकार बड़े विश्वास के साथ ये कह रहे हैं कि ये नरेंद्र मोदी हुकूमत की नई पॉलिसी है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल के निर्देशन में अंजाम दी जा रही है। पाकिस्तान से लेकर अमेरिका और कनाडा तक, भारत के दुश्मन आतंकवादियों की हत्या की ये पॉलिसी 2019 में शुरू हुई। हालांकि, भारत ने दो टूक लफ़्ज़ों में कहा है कि दूसरे देश की धरती पर हत्याएं कराना उसकी नीति नहीं है। विदेश मंत्रालय ने ‘दि गार्डियन’ की स्टोरी के जवाब में कहा है कि ये स्टोरी पूरी तरह से काल्पनिक है। विदेश मंत्री  एस. जयशंकर भी कह चुके हैं कि गैरकानूनन हत्याएं करवाना भारत की पॉलिसी नहीं है। हां, भारत ने पाकिस्तान में दो बार घुसकर हमला किया, आतंकवादियों को मारा लेकिन, जब भी भारत ने ऐसा किया तो सीना ठोककर उसे क़बूल भी किया और दुनिया को बताया कि भारत ने पाकिस्तान में घुसकर आतंकवादी ठिकाने तबाह किए हैं। पहली सर्जिकल स्ट्राइक भारत ने 2016 में उरी के आतंकवादी हमले के बाद POK में की थी। वहीं, 2019 के पुलवामा आतंकवादी हमले के बाद, भारत ने पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकवादियों के अड्डों को बमबारी करके तबाह किया था। तब भारतीय वायु सेना के हमले में तीन सौ से ज़्यादा आतंकवादी मारे गए थे। प्रधानमंत्री मोदी ख़ुद सार्वजनिक रूप से इन हमलों के बारे में देश की जनता को बताया था।

शुक्रवार को मोदी राजस्थान में थे। उन्होंने चुरू में एक चुनावी जनसभा में फिर कहा कि आज का भारत, आतंकवादियों को घर में घुसकर मारता है। ऐसे मामलों के सुबूत नहीं मिलते, लेकिन ‘दि गार्डियन’ की रिपोर्ट में कई बड़े आला जानकारों के हवाले से कहा गया है कि ये मोदी सरकार की नयी नीति है और RAW सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय को रिपोर्ट करती है। चुरू में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने घर में घुसकर मारने की बात कही है। पुलवामा अटैक के कुछ दिन बाद जब मोदी चुरू गए थे उस वक्त ही हमारे जाबांज़ फाइटर पायलट्स ने पाकिस्तान में घुसकर दहशतगर्दों के कैंप्स को उड़ाया था। इसलिए मोदी के शुक्रवार के बयान को आधार बना कर पाकिस्तान और  शोर मचाएगा। दुनिया से कहेगा कि देखो मोदी हमारे देश में हत्याएं करवा रहा है लेकिन इससे बहुत फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि पाकिस्तान की सरकार, ISI और पाकिस्तान फौज के पास इस तरह के आरोपों का कोई सबूत तो है नहीं और दूसरी बात भारत सरकार इस तरह की बातों को सिरे से खारिज करेगी। इसलिए मोदी सरकार पाकिस्तान में बैठे आतंकवादियों का खात्मा कर रही है। इसकी हकीकत तो किसी को पता नहीं लगेगी लेकिन अगर सरकार ने एजेंसियों को छूट दी है, तो ये कोई गलत बात नहीं है क्योंकि मुंबई में हमला करने वाले हैंडलर्स पाकिस्तान में बैठे हैं । सरकार ने बीसियों बार सबूत दिए। पाकिस्तान ने क्या किया? मसूद अजहर से लेकर हाफिज सईद और सैयद सलाउद्दीन जैसे तमाम आतंकवादी पाकिस्तान में खुलेआम भारत के खिलाफ साजिशों को अंजाम देते हैं। पाकिस्तान ने कौन सा एक्शन लिया? नरेंद्र मोदी इन मामलों को कैसे हैंडल करते हैं, ये उन्होंने मुझे 2009 में बताया था जब वो गुजरात के मुख्यमंत्री थे। ‘आप की अदालत’ में उन्होंने बताया कि पाकिस्तान ने हम पर हमला बोल दिया और हमारे प्रधानमंत्री अमेरिका गए और रोने लगे ‘ओबामा ओबामा’, कहने लगे ‘बचाओ बचाओ’, ये कोई तरीका होता है क्या?  पड़ोसी मार कर चला जाए और अमेरिका जाते हो, अरे पाकिस्तान जाओ ना ? इसपर मैंने कहा कि तो फिर कौन सा तरीका अपनाया जाए? उस समय मोदी ने जो कहा था वो शब्द आज भी मेरे कान में गूंजते हैं।  “पाकिस्तान जिस भाषा में समझे उस भाषा में समझाना चाहिए” और आज मुझे लगता है कि पिछले 10 साल में यही बात साकार हुई है। पाकिस्तान जिस भाषा में बोलता है, उसी भाषा में उसको जवाब दिया गया।

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