- बिहार चुनाव परिणाम 2025: राजग की प्रचंड जीत, महागठबंधन 35 सीटों पर सिमटा
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए (राजग) ने ऐसा राजनीतिक चमत्कार कर दिखाया जिसने सभी राजनीतिक अनुमानों और एग्ज़िट पोल को गलत साबित कर दिया।
देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की जन्मतिथि पर आए ऐतिहासिक जनादेश में राजग ने 243 में से 202 सीटों पर शानदार जीत दर्ज की, जबकि राजद-कांग्रेस नेतृत्व वाला महागठबंधन सिर्फ 36 सीटों पर सिमट गया।
इस बार भाजपा 89 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, जबकि जदयू ने 85 सीटें जीतीं। मतदाताओं ने दो दशक के शासन के बावजूद नीतीश कुमार और भाजपा के नेतृत्व पर मजबूत भरोसा जताया।
2010 जैसा मतदान रूझान, रिकॉर्ड वोटिंग ने बदला रिजल्ट
शुक्रवार को हुई मतगणना 2010 के चुनाव की याद दिलाती रही, जब नीतीश सरकार को भारी बहुमत मिला था। इस बार 67.13% रिकॉर्ड मतदान ने तय कर दिया कि मतदाता बदलाव नहीं, बल्कि स्थिरता और सुशासन पर भरोसा जता रहे हैं।
दोनों गठबंधनों ने बड़े-बड़े वादे किए, लेकिन मतदाता अंततः “आज़माए हुए” पक्ष की तरफ झुक गए।
मोदी की रैलियों और कनेक्ट ने बदला नैरेटिव
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 जिलों में रैलियां कर करीब 160 विधानसभा क्षेत्रों को साधा। गमछा घुमाने वाली उनकी शैली ने जनता से सीधा भावनात्मक जुड़ाव बनाया।
रैलियों ने चुनावी लड़ाई का नैरेटिव बदल दिया—
सुशासन, डबल इंजन, अपराध पर जीरो टॉलरेंस और रोजगार का रोडमैप।
अमित शाह, राजनाथ सिंह और योगी आदित्यनाथ की रैलियों ने विपक्ष के वादों की धार और कमजोर कर दी।
राजग की जीत के 6 बड़े कारण
- मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना ने महिला वोट को बड़े पैमाने पर आकर्षित किया।
- वृद्धजन पेंशन 400 से बढ़ाकर 1100 रुपये करने का बड़ा प्रभाव।
- 125 यूनिट मुफ्त बिजली योजना ने हर वर्ग को प्रभावित किया।
- पीएम मोदी द्वारा तेजस्वी यादव पर किए गए कट्टा वाले बयान का असर युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक दिखा।
- नीतीश कुमार के सुशासन मॉडल पर स्थिर भरोसा।
- जदयू-भाजपा का जमीनी स्तर पर मजबूत नेटवर्क।
महागठबंधन की हार के 6 प्रमुख कारण
- नेतृत्व, समन्वय और चेहरे को लेकर असमंजस।
- जातीय समीकरणों का गलत आकलन।
- युवा और महिला वोट पर पकड़ कमजोर।
- कांग्रेस बोझ साबित हुई, टिकट वितरण में भारी नाराजगी।
- चुनावी एजेंडा अस्पष्ट—मतदाताओं तक संदेश साफ नहीं पहुंचा।
- स्थानीय स्तर पर संगठन की कमजोरी।
तीसरा विकल्प फिर फेल – जनसुराज और AIMIM भी नहीं चले
प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी तीसरा विकल्प बनने में असफल रही।
नतीजा: एक भी सीट नहीं, कई सीटों पर दूसरे स्थान तक के लिए संघर्ष।
ओवैसी की AIMIM ने सीमांचल में 5 सीटों पर प्रभाव दिखाया, पर व्यापक असर नहीं हुआ।
नेताओं की प्रतिक्रियाएँ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
“बिहार ने राजग को ऐतिहासिक विजय दी है। यह हमारे विकास और सुशासन में जनता के विश्वास की जीत है।”
गृह मंत्री अमित शाह
“बिहार की जनता ने बता दिया कि वोटर लिस्ट शुद्धिकरण और सुरक्षा पर समझौता नहीं होगा। घुसपैठियों को संरक्षण देने वालों को करारा जवाब मिला है।”
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार
“बिहार के विश्वास के लिए आभार। हम राज्य को देश के सबसे विकसित राज्यों में शामिल करने के लिए संकल्पित हैं।”