रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को शीर्ष स्तरीय सैन्य नेतृत्व बैठक के दूसरे और अंतिम दिन उत्तर प्रदेश के लखनऊ में प्रथम संयुक्त कमांडर सम्मेलन की अध्यक्षता की। उन्होंने राष्ट्रीय हितों की रक्षा और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने में सशस्त्र बलों के अमूल्य योगदान की प्रशंसा करते हुए तीनों सेनाओं के बीच संयुक्तता और एकीकरण को आगे बढ़ाने के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहना की।
Attended the maiden Joint Commanders’ Conference in Lucknow. Lauded the Armed Forces for their invaluable contribution in safeguarding national interests and advancing the vision of ‘Aatmanirbhar Bharat’.
Also, appreciated the efforts being undertaken for furthering jointness… pic.twitter.com/ySBDWZvn5V
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) September 5, 2024
उन्होंने कहा कि भारत एक शांतिप्रिय राष्ट्र है और शांति बनाए रखने के लिए सशस्त्र बलों को युद्ध के लिए तैयार रहने की आवश्यकता है। रक्षा मंत्री ने संयुक्त सैन्य का विजन विकसित करने और भविष्य के युद्धों में देश के सामने आने वाली चुनौतियों के लिए तैयारी करने के महत्व पर जोर दिया, साथ ही उकसावे की घटनाओं पर समन्वित, त्वरित और उचित कार्रवाई करने पर जोर दिया। रक्षा मंत्री ने ई-म्यूजियम और ई-ग्रंथालय सहित आठ नवीन अनुप्रयोगों के साथ-साथ ‘औपनिवेशिक कार्य-प्रणालियों और सशस्त्र बल- एक समीक्षा’ पर एक प्रकाशन भी लॉन्च किया, जो तीनों सेवाओं के बीच अधिक सामंजस्य और तालमेल कायम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
Watch | Raksha Mantri Shri @rajnathsingh presided over the maiden Joint Commanders’ Conference in Lucknow today. He highlighted the significance of a Joint Military Vision and unveiled digital tools to boost Tri-Service synergy and integration. pic.twitter.com/6cWUoxIwCr
— Ministry of Defence, Government of India (@SpokespersonMoD) September 5, 2024
प्रथम संयुक्त कमांडर सम्मेलन में अपने संबोधन के दौरान रूस-यूक्रेन एवं इजरायल-हमास संघर्षों और बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति का जिक्र करते हुए, रक्षा मंत्री ने कमांडरों से इन घटनाओं का विश्लेषण करने, भविष्य में देश के सामने आने वाली समस्याओं का अनुमान लगाने और “अप्रत्याशित” से निपटने के लिए तैयार रहने का आह्वान किया।
उन्होंने उत्तरी सीमा पर स्थिति और पड़ोसी देशों में होने वाली घटनाओं के मद्देनजर शीर्ष सैन्य नेतृत्व द्वारा व्यापक और गहन विश्लेषण की आवश्यकता पर जोर दिया, जो क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता के लिए चुनौती पेश कर रहे हैं।
राजनाथ सिंह ने कहा, “वैश्विक अस्थिरता के बावजूद, भारत अपेक्षाकृत शांत माहौल में शांतिपूर्ण तरीके से विकास कर रहा है। हालांकि, चुनौतियों की बढ़ती संख्या के कारण हमें सतर्क रहने की जरूरत है। यह महत्वपूर्ण है कि हम अमृत काल के दौरान अपनी शांति को बरकरार रखें।
हमें अपने वर्तमान पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है, वर्तमान में हमारे आसपास हो रही गतिविधियों पर नजर रखने की जरूरत है और भविष्योन्मुखी होने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। इसके लिए हमारे पास एक मजबूत और सुदृढ़ राष्ट्रीय सुरक्षा का घटक होना चाहिए। हमारे पास अचूक प्रतिरोधक क्षमता होनी चाहिए।”
रक्षा मंत्री ने कमांडरों से सशस्त्र बलों के शस्त्रागार में पारंपरिक और आधुनिक युद्ध उपकरणों के सही मिश्रण की पहचान करने और उन्हें शामिल करने का आह्वान किया। उन्होंने अंतरिक्ष और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध के क्षेत्र में क्षमता के विकास पर जोर दिया और उन्हें आधुनिक समय की चुनौतियों से निपटने के लिए अभिन्न अंग बताया।
उन्होंने सैन्य नेतृत्व से डेटा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में नवीनतम तकनीकी प्रगति के इस्तेमाल को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने का भी आग्रह किया।
उन्होंने रक्षा क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भरता’ हासिल करने के लिए उठाए जा रहे कदमों की जानकारी देते हुए इस क्षेत्र को मजबूत करने तथा सशस्त्र बलों को अत्याधुनिक स्वदेशी हथियारों और प्लेटफार्मों से लैस करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई।
आपको बता दें, बुधवार को शुरू हुए इस दो दिवसीय सम्मेलन में देश के शीर्ष-स्तरीय सैन्य नेतृत्व ने हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा के संदर्भ में राष्ट्र के समक्ष वर्तमान और भविष्य की चुनौतियों पर विचार-विमर्श किया।
इस सम्मेलन का फोकस भविष्य को लेकर क्षमता निर्माण पर था, जिसमें संयुक्त और एकीकृत कार्रवाई के लिए संगठनात्मक संरचनाएं एवं शांति तथा युद्ध के दौरान कार्य-प्रणाली में दक्षता, पारदर्शिता और जवाबदेही लाना शामिल था।