UP Police Good Work -प्रयागराज के मदरसे में छापे जा रहे थे नकली नोट, पुलिस ने छापा मार मौलवी समेत 4 को किया गिरफ्तार, फेक करेंसी बरामद 

  • मदरसे में रोजाना छपते थे 20 हजार के नकली नोट
  • 100-100 के नोट पर लगाते थे हरा टेप
  • 100-100 के 1 लाख 30 हजार रुपए मूल्य के नकली नोट बरामद 
  • 18 लाख की जारी मुद्रा पहुंच चुकी है बाजार में
  • 100 रुपये की नोट ही छापने का प्लान बनाया था मौलवी ने
  • मैटेलिक धागे की जगह टेप का करते थे इस्तेमाल

प्रयागराज । बिना मान्यता के चल रहे मदरसे में रोजाना 20 हजार रुपये की भारतीय नकली नोट की छपाई होती थी। इसके लिए अच्छी क्वालिटी का कागज, स्याही इस्तेमाल की जाती थी। प्रिंटेड नोट को पटरी की मदद से कटर ब्लेड के जरिए बड़े सलीके से काटा जाता था। इसके बाद असली नोट में इस्तेमाल होने वाले मैटेलिक धागे की तरह नकली नोट पर हरे रंग का चमकीला टेप लगाते थे, ताकि देखने वालों की आंखें धोखा खा जाएं।

मदरसे से बुधवार को 100-100 के नकली नोट छपने की जानकारी मिलने पर स्थानीय पुलिस ने छापा मारा। इस दौरान प्रिटिंग मशीन के साथ मौके पर 1 लाख 30 हजार की नकली करेंसी भी बरामद हुई। पुलिस ने मौके पर ही मौलवी समेत चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है। पुलिस के मुताबिक मास्टरमाइंड ओडिशा का रहने वाला है।

पुलिस का कहना है कि गिरोह का सरगना जाहिर खान और मो. अफजल दिन में नोटों की छपाई करते थे। वह हाई क्वालिटी के स्कैनर से 100 रुपये की नोट को स्कैन करते थे और फिर उसी सिरीज के नोट का प्रिंट निकालते थे।

मामला मदरसा जामिया हबीबिया मस्जिदे आजम का है। यह शहर के अतरसुइया इलाके में है। डीसीपी दीपक भूकर ने बताया कि सिविल लाइन थाने की पुलिस को सूचना मिली थी कि मदरसे में संदिग्ध गतिविधियां चल रही हैं। चूंकि मामला मदरसे से जुड़ा मामला था, इसलिए पूरी सावधानी बरती गई।

जब स्थिति साफ हुई कि वाकई में मदरसे में कुछ गलत हो रहा है, तब यहां रेड की गई। इस दौरान हमें वहां प्रिंटिंग मशीन में नोट छापते हुए तीन लोग मिले। पूछताछ में उन्होंने मदरसे के मौलवी मो. तफसीरुल आरिफीन की संलिप्तता स्वीकार की। इसके बाद उसे भी गिरफ्तार कर लिया गया है।

डीसीपी ने बताया कि ओडिशा का जाहिर खान गिरोह का मास्टरमाइंड है। पूछताछ के दौरान आरोपियों ने बताया कि के सौ रुपये के एक असली नोट के बदले तीन नोट बेचते थे। मामले में पूछताछ अभी जारी है।

मौलवी, सरगना और बाकी सदस्यों की आजीविका नकली नोट से ही चल रही थी। पूछताछ में पता चला है कि नकली नोट के बदले मिलने वाली असली नोट को वह अपने परिवार के सदस्यों को देते थे और खुद भी खर्च करते थे। कई बार नकली नोट का इस्तेमाल करके घरेलू और दूसरी जरूरत का सामान लेते थे। सभी लोग योजनाबद्ध तरीके से यह काम कर रहे थे और करीबियों को इसके बारे में नहीं बताते थे। इस गैंग में शामिल अन्य लोगों के बारे में भी पुलिस व एसओजी टीम पता लगा रही है।

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