खेल के मैदान में भी ‘योद्धा’ थे बलिदानी कैप्टन दीपक, रक्षाबंधन से पांच दिन पहले छिन गया दो बहनों का इकलौता भाई

रक्षाबंधन पर हर बहन राखी बांधने के लिए अपने भाई का बेसब्री से इंतजार करती है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं। लेकिन सोचिए उस बहन पर क्या गुजरी होगी जब रक्षाबंधन से पांच दिन पहले भाई की शहादत की खबर आई।

जम्मू-कश्मीर के डोडा में आतंकी हमले में बलिदान हुए दून के कैप्टन दीपक सिंह दो बहनों के इकलौते भाई थे। वह तीन भाई-बहनों में सबसे छोटे थे। तीन माह पहले ही उनकी छोटी बहन ज्योति की शादी हुई थी, जिसमें शामिल होने के लिए दून आए हुए थे। बड़ी बहन मनीषा केरल में रहती है।बलिदानी के माता-पिता उन्हीं के पास केरल गए हुए थे। रक्षा बंधन नजदीक है और बहनें इसकी तैयारी में जुटी हैं। कैप्टन दीपक की बहनें भी उनकी सलामती की दुआ कर रही थी, पर नियति को कुछ और ही मंजूर था। मन में भाई को देखने का अरमान था, पर अब तिरंगा में लिपटा उनका पार्थिव शरीर घर पहुंचेगा।

घर पर सन्नाटा, आस-पड़ोस का हर शख्स गमगीन

मूलरूप से उत्तराखंड के अल्मोड़ा (वर्तमान में देहरादून) के रहने वाले कैप्टन दीपक ने बारहवीं तक की पढ़ाई सेंट थामस स्कूल से की। 13 जून 2020 को वह सेना में कमीशन हुए। उनके पिता महेश सिंह उत्तराखंड पुलिस के रिटायर कार्मिक हैं। वह पुलिस मुख्यालय में तैनात थे और इसी साल अप्रैल में वीआरएस लिया था। मां चंपा देवी गृहणी है।

पूर्व में उनका परिवार पुलिस लाइन रेसकोर्स में रहता था, लेकिन तीन साल पहले कुआंवाला स्थित विंडलास रिवर वैली में शिफ्ट हो गया। कैप्टन दीपक बलिदान होने की खबर से विंडलास रिवर वैली हाउंसिंग के लोग गमगीन हैं। रिवर वैली रेजीडेंशियल वेलफेयर एसोसिएशन ने बुधवार शाम शोकसभा आयोजित कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है।

अध्यक्ष हर्षवर्धन काला, सचिव प्रदीप शुक्ला ने कहा कि दीपक बेहद मिलनसार और सौम्य स्वभाव के व्यक्ति थे। अभी तीन माह पूर्व ही बहन की शादी में उनसे मुलाकात हुई थी। मन नहीं मान रहा कि वह अब हमारे बीच नहीं हैं। बलिदानी का पार्थिव शरीर गुरुवार को देहरादून पहुंचेगा। जिसके बाद हरिद्वार में सैन्य सम्मान के साथ उनकी अंत्येष्टि की जाएगी।

रण ही नहीं खेल के मैदान में भी थे ‘योद्धा’

आतंकियों से लोहा लेते बलिदान हुए कैप्टन दीपक रणभूमि ही नहीं बल्कि खेल के मैदान के भी महारथी थे। वह हाकी, टेनिस सहित कई खेल खेलते थे। एक बेहतरीन हाकी खिलाड़ी होने के नाते उन्होंने कई मौकों पर शानदार खेल दिखाया।रिवर वैली रेजीडेंशियल वेलफेयर एसोसिएशन के सचिव प्रदीप शुक्ला ने बताया कि वह जब भी छुट्टी पर आते, टेनिस खेलने जरूर आते थे। उनमें गजब की ऊर्जा थी, जो खेल के मैदान पर भी दिखती थी। यह उनका जज्बा ही था जो आतंकी मुठभेड़ के दौरान भी दिखा।

पुलिस मुख्यालय में दी गई श्रद्धांजलि

पुलिस मुख्यालय में बुधवार को श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई। इस दौरान पुलिस महानिदेशक अभिनव कुमार सहित वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने बलिदानी कैप्टन दीपक सिंह की फोटो पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। साथ ही दो मिनट का मौन रख उन्हें श्रद्धांजलि दी।पुलिस महानिदेशक ने कहा कि मातृभूमि की रक्षा के लिए बलिदान हुए कैप्टन दीपक सिंह का यह सर्वोच्च बलिदान देश ही नहीं उत्तराखंड पुलिस परिवार के लिए भी अपूरणीय क्षति है। इस दुखद क्षण में समस्त पुलिस परिवार उनके पिता महेश सिंह के साथ खड़ा है।

पांच साल में तीन युवा अधिकारी हुए बलिदान

पांच साल में यह तीसरी बार है जब दून ने एक युवा सैन्य अधिकारी खोया है। वर्ष 2019 में दून निवासी मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल और मेजर चित्रेश बिष्ट ने देश रक्षा में अपने प्राणों की आहूति दी थी। मेजर विभूति को मरणोपरांत शौर्य चक्र, मेजर चित्रेश को सेना मेडल मिला। अब 25 वर्षीय कैप्टन दीपक सिंह ने देश रक्षा में अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!